ये अनमोल शीर्षक सचित्र मिलते हैं

बीते समय से अनुभव प्राप्त करना,
भविष्य की ओर आशान्वित रहना,
कहाँ क्या हो रहा, उससे भिज्ञ रहना
आत्म निरीक्षण से विश्वस्त होना।

इनसे कभी कोई निराशा नहीं होती,
कोशिश करने से सफलता मिलती,
निरंतर प्रयास, अभ्यास व अध्ययन
से जीवन की सार्थकता भी मिलती।

अच्छा स्वभाव व अच्छा व्यवहार,
अक्सर ज्ञान से भी बेहतर होते हैं,
विषम स्थिति में ज्ञान हार सकता है,
स्वभाव व्यवहार से सदा जीतते हैं।

किसको कहाँ, कब, क्या मिला,
इसका तो कोई हिसाब नहीं,
किसी के पास तो रूह ही नहीं,
व किसी के पास लिबास नहीं।

नि:शब्द हूँ मैं यह देख सुनकर कि
किसी को सोने के महल मिलते हैं,
आदित्य किसी के ऊपर छत भी नहीं,
ये अनमोल शीर्षक सचित्र मिलते हैं।

कर्नल आदिशंकर मिश्र ‘आदित्य’
जनपद—लखनऊ

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