मिर्गी पर मण्डलीय सेमिनार का हुआ आयोजन

मुकेश तिवारी
झांसी। वर्तमान परिदृश्य को देखे तो बीमारियों से बढ़ती मरीजों की संख्या चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों के लिये चिन्ता का विषय है। चिकित्सा एवं उपचार से संबंधित समय-समय पर हो रहे अनुसंधानों व उनके निष्कर्षों से चिकित्साधिकारियों सहित अन्य स्वास्थ्य कर्मियों का ज्ञानबर्धन के उद्देश्य से ईको प्लेटफार्म के माध्यम से झाँसी मण्डल के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर कार्य कर रहे चिकित्साधिकारियों व आईएमए के सदस्यों का वर्चुअल सेमिनार आयोजित किया गया।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा मण्डलीय ईको कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ‘मिर्गी और गैर-मिर्गी दौरों की प्राथमिक देखभाल एवं उपचार’ विषय पर सेमिनार का आयोजन हुआ। सेमिनार में विषय विशेषज्ञ के रूप में मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलाजी विभागाध्यक्ष डा अरविन्द कनकने ने व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि प्रत्येक सौ में से एक व्यक्ति को एपिलेप्सी (मिर्गी) की संभावना रहती है।
चिंता का विषय यह है कि इस बीमारी के प्रति लोगों का नजरिया इस प्रकार का है कि पीड़ितों को समय पर सही उपचार नहीं मिल पाता है। कुल ग्रसित मरीजों में से केवल 20 प्रतिशत मरीजों को ही इलाज मिल पा रहा है। समाज में मिर्गी के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इससे संबंधित मिथकों को दूर करना अति महत्वपूर्ण है। यह भी बताया कि मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें मस्तिष्क की गतिविधियों में अचानक परिवर्तन होता है जिससे दौरे (सीजर) आते हैं। यदि किसी महिला को मिर्गी के दौरे आते है तो प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले न्यूरोलाजिस्ट से सलाह अवश्य लें। उन्होंने स्टे, सेफ एण्ड साइट के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी।
सेमिनार की अध्यक्षता करते हुये डा. आर.के. सोनी संयुक्त निदेशक ने कहा कि मिर्गी के मरीजों को सामाजिक समर्थन और सहानुभूति की आवश्यकता होती है। उन्होंने शासकीय चिकित्सा इकाईयों पर मिर्गी के उपचार एवं संदर्भन के लिये आवश्यक व्यवस्थाओं के बारे में बताया। एसीएमओ डॉ एनके जैन ने मिर्गी को लेकर समाज में मिथक और गलत धारणाओं पर चर्चा की। आईएमए झाँसी इकाई के अध्यक्ष डा. प्रताप सिंह ने कहा कि सभी चिकित्सकों को मरीजों की निरंतर निगरानी कर रेफर करते समय संबंधित चिकित्सा विशेषज्ञ को मरीज की स्थिति की जानकारी देकर ही भेजना मरीज के हित में होगा।
सेमिनार के संयोजक एनएचएम के मण्डलीय परियोजना प्रबंधक आनन्द चौबे ने कहा कि मण्डल स्तर पर चिकित्साधिकारियों व सीएचओ के ज्ञानवर्धन के लिये इस तरह के सेमिनार लगातार आयोजित किये जा रहे हैं जिससे स्वास्थ्य सेवा-तंत्र से जुड़े लोगों की क्षमता वृद्धि हो रही है। सेमिनार में झाँसी, जालौन व ललितपुर के लगभग 100 चिकित्सकों व सीएचओ ने भाग लिया जहां एसीएमओ डा देवेन्द्र भिटौरिया, मो अतीब खान, धीरज सिंह चौहान सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
दौरा आने पर क्या करें
नियमित रूप से दवा लें। हमेशा डॉक्टर से संपर्क में रहें। स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। मिर्गी के बारे में सही जानकारी दूसरों तक पहुंचाएं और मिथकों को दूर करें। आपातकालीन स्थिति में शांत रहें। दौरे के दौरान मरीज को सुरक्षित स्थान पर लाएं और उन्हें चोट से बचाएं।
क्या न करें:
डॉक्टर की सलाह के बिना दवाओं का सेवन बंद न करें।
मिर्गी के मरीज को अकेले न छोड़ें। मिर्गी के लक्षणों को नजरअंदाज न करें और तुरंत चिकित्सा सहायता लें। गलत जानकारी न फैलाएं, मिर्गी के बारे में गलत धारणाएं और मिथक न फैलाएं। मिर्गी के मरीज को ऊँचाई, तैराकी, और भारी मशीनरी जैसे खतरनाक कार्यों से बचना चाहिए।

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