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लाखों रूपये पहले ही ले चुके हैं कानूनगो—लेखपाल
एमए खान
जौनपुर। नगर के लाइन बाजार थाना क्षेत्र के सदर तहसील के मंडीवर पचहटिया का एक मामला ज़मीन पैमाईश का लगभग 3 वर्ष से अधर में लटका हुआ है जिसमें राजस्व निरीक्षक अखिलेश पाठक, लेखपाल विजय मिश्रा, संजय सिंह ने काश्तकारों से लाखों रुपए व ज़मीन लिखवाने के बाद भी उक्त ज़मीन की पैमाइश नहीं करवाया। तहसील के चक्कर लगाते जब पीड़ित थक गए तब इन लोगों ने जिलाधिकारी से गुहार लगाई। जिलाधिकारी ने एडीएम को जांच कर उक्त मामले को हल करने को कहा जिसमें आज तक रिपोर्ट डीएम कार्यालय नहीं पहुंची है।
शिकायकर्ता को कभी उपजिलाधिकारी सदर के यहां बुलाया जाता है तो कभी तहसीलदार के यहां। यह भी बताया जाता है कि उक्त मामले में शिकायतकर्ताओं का तीन बार बयान लिया जा चुका है परंतु अभी तक मामला ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ है। काश्तकार सुशील, मो0 अकरम, गंगाराम, सैय्यद आकिब हुसैन, मुनौवर तहसील के चक्कर लगाते थक गए हैं।
सूत्रों के अनुसार हल्का लेखपाल विजय मिश्रा, लेखपाल संजय सिंह, राजस्व निरीक्षक अखिलेश पाठक आदि ने जिलाधिकारी को दिए गए प्रार्थना पत्र से खिन्न होकर उक्त काश्तकारों को फर्जी मुकदमे आदि में फंसाने की साजिश कर रहे हैं। पूरे प्रकरण की जानकारी लिखित रूप से तहसीलदार सदर को भी दी जा चुकी है जिस पर तहसीलदार ने कानूनगो अखिलेश पाठक को बुलाया।
उनके साथ स्थानीय लेखपाल संजय सिंह भी पहुंचे, क्योंकि संजय सिंह लेखपाल पूर्व में काश्तकारों से मोटी रकम कैश लगभग 1 लाख रुपये एवं अपनी पत्नी के खाते में भी कुछ रुपये ले चुके हैं। दूसरी ओर कानूनगो अखिलेश पाठक ने दो—तीन साल दौड़ाने के बाद काश्तकार से कहा कि मेरे भाई को उसी आराजी में से कुछ भाग ज़मीन का लिख दो तो दस दिन में तुम्हारी बाउंड्री वाल करवा देंगे। तब कानूनगो अखिलेश पाठक के भाई कमलेश पाठक ने अपनी पत्नी के नाम ज़मीन का कुछ भाग लिखवाया है।
पीड़ित के अनुसार सभी साक्ष्य डीएम कार्यालय में जमा कर दिये गए हैं जिस पर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया है। इतना सब कुछ लेने के बावजूद अभी भी पैरवी करने जाने पर काश्तकारों से और ज़मीन लिखने का दबाव बनाया जाता है जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अभी कुछ दिन पूर्व उत्तर प्रदेश में ज़मीन पैमाईश के नाम पर हो रही धनउगाही पर नाराजगी दिखाई थी जिसमें सख्त कार्यवाही का आदेश भी दिया गया था। अब देखना है कि जौनपुर के इस प्रकरण में मुख्यमंत्री कब कार्यवाही का आदेश देते हैं?