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आईवीएफ की शुरूआत 10 नवम्बर 1977 से हुई: डा. अंजू
25 जुलाई 1978 को आईवीएफ से पहले बच्चे का हुआ जन्म
मेरे यहां डेढ़ वर्ष में लगभग दर्जन भर बच्चे जन्मे: डा. अंजू
जौनपुर। नगर के पॉलिटेक्निक चौराहे के निकट स्थित आशीर्वाद हॉस्पिटल में प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी 25 जुलाई को वर्ल्ड आई.वी.एफ. डे मनाया गया।
इस मौके पर स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. अंजू कन्नौजिया ने उपस्थित लोगों के बीच कहा कि आज एक ऐसी सिलेब्रिटी के बारे में बतायेंगे जिसके लिये आई.वी.एफ. किसी वरदान से कम नहीं है। विज्ञान ने इतनी ज्यादा तरक्की कर ली है कि जिन जोड़ों (कपल्स) को अब नार्मली कंसीब (बच्चा) नहीं हो पाता है।
उन्हें आई.वी.एफ. की मदद से संतान पाने में मदद मिल रहा है। आई.वी.एफ. दिवस का इतिहास 10 नवम्बर 1977 से जिस दिन लेस्ली बाउन नामक महिला डा. पेट्रिक स्टेप्टो एवं राबर्ट एड की मदद से आई.वी.एफ. प्रक्रिया शुरू हुई जिसके बाद 25 जुलाई 1978 को एक बच्चे का जन्म हुआ। डा. कन्नौजिया ने बताया कि विश्व भ्रूण विज्ञान दिवस मनाने का उद्देश्य से इस दिन उन भ्रूण वैज्ञानिकों को धन्यवाद दिया जाता है जो जिन्दगी बचाने के साथ ही जीवन देने का कार्य किये हैं। ऐसे दम्पति जो गर्भाधारण करेन की उम्मीद खो चुके हैं। उन्हें माता—पिता बनने की एक नई राह दिखाने के उद्देश्य से आई.वी.एफ. उनका विश्वस्त सहयोगी सिद्ध हो रहा है, इसलिये हम सभी आईवीएफ दिवस मनाते हैं।
आई.वी.एफ. दिवस मनाने का उद्देश्य आई.वी.एफ. के प्रति लोगों को जागरूक करना है कि अब संतान के लिए निराशा नहीं, बल्कि खुशी मनाने का अवसर मिला है। 25 जुलाई के दिन जगह-जगह आई.वी.एफ. के सेमिनार, वर्कशाप और कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं जिससे लोग अपनी इनफर्टिलिटी के बारे में खुलकर बात कर सके। अभी भी कुछ लोग इस प्रक्रिया का सहारा लेने में असहज महसूस करते हैं।
कपल्स के लिए यह कंसीब करने का एक बेहतर विकल्प है। यदि किसी भी पति—पत्नी को संतान नहीं हो रहा हो तो वह एक विश्वास के साथ आकर मिले, उनकी सभी बातों को गोपनीय रखा जाएगा। साथ ही आगे बताया कि डेढ़ वर्षों में 8—9 की आईवीएफ से डिलवरी करायी गयी है।
लगभग दो दर्जन से अधिक महिलाओं का परिणाम पॉजिटिव पाया गया है। उक्त विधि द्वारा बने माता—पिता इस वर्ल्ड आईवीएफ दिवस पर उपस्थित रहे जिनको स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर डा० दीपशिखा सिंह, डॉ सुभाषी श्रीवास्तव, कुलवन्त, रेखा, सुनील कन्नौजिया, अजहर, गुंजन श्रीवास्तव सहित तमाम लोग उपस्थित रहे। अन्त में स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. अंजू कन्नौजिया एवं हड्डी रोग विशेषज्ञ डा. विनोद कन्नौजिया ने आये समस्त अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।