आदित्य-रूद्राष्टक

नमो ईश शम्भू हे निर्वाणरूप,
हे विभोविश्व नाथ वेदस्वरूप,
नजन्में निर्गुणी, हे निर्विकल्प,
निराकार ॐकार मूलतुरीय।

गिराज्ञान ग़ोतीत हे ईश गिरीश,
कराल महाकाल काल कृपाल,
तुम बर्फतुल्य, हे गौरांग शाली,
प्रभाराजती कोटिशः कामवाली।

बहे शीश से माँ गंगा की धारा,
चढ़े भाल, बालेंदु नागेंद्र हारा,
सोहे कर्णकुंडल सुनेत्र विशाला,
गले नीलकण्ठ प्रसन्नानं दयाला।

मृगाधीश चरमांबर हे मुण्डमाल,
भजूँ शम्भुभोला भजूँ बैलवाला,
प्रचण्डी प्रकाश्टी प्रगल्भी परेशी,
अखंडी अजी कोटि भानुप्रकाशी।

गुणातीत हे सुकल्याण कारी,
सदा सच्चिदानन्द दाता पुरारी,
सर्व पापहारी हे महामोद कारी,
खुशी दो सदा हे प्रभो मन्मथारी।

नहीं जानता मैं योग और पूजा,
सदा शम्भु भजता नहीं देव दूजा,
महादेव हे हरिये मेरी व्याधिपीड़ा,
आदित्य रुद्राष्टक की नित्यक्रीड़ा।

रुद्राष्टक मेरा ये शिव को प्रसन्न करे,
आशुतोष हे महादेव देवों में आदिदेव,
अवढरदानी, मन्दारमाल, श्रीचंद्रभाल,
आदित्य अर्चना हो प्रसन्न भुजविशाल।

कर्नल आदिशंकर मिश्र ‘आदित्य’
जनपद—लखनऊ

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