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दिनो रात डर के साये में जी रहे ग्रामीण, अक्सर टूटकर गिर जाते हैं जर्जर तार
शिकायत के बावजूद भी समस्या जस की तस, धृतराष्ट्र बने जिम्मेदार
मो. परवेज
सरेनी, रायबरेली। स्थानीय क्षेत्र के उमरापुर गांव में झूल रहे बिजली के जर्जर तार न केवल बिजली उपभोक्ताओं के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं बल्कि कर्मचारियों के लिए भी मुसीबत का कारण हैं। जर्जर तारों की वजह से आए दिन हो रही परेशानी से गांव के उपभोक्ताओं में आक्रोश है। ग्रामीण दिनोंरात ड़र के साये में जी रहे हैं। साथ ही ग्रामीणों को हादसे का भी अंदेशा है। ग्रामीण विभागीय अधिकारियों से पुराने व जर्जर तारों को बदले जाने की कई बार गुहार लगा चुके हैं बावजूद नतीजा शून्य है। उमरापुर गांव में सप्लाई के लिए विद्युत विभाग द्वारा बिछाई गई लाइन मरम्मत के अभाव में पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है।
चलती लाइन में तार अक्सर टूटकर गिर जाते है जिससे लोगों को किसी बड़े हादसे का भय बना रहता है। ग्रामीण नितेश उर्फ गोपाल दीक्षित ने बताया कि विद्युत विभाग की लापरवाही के कारण जर्जर तार गांव में अधिकांशत: जगहों पर झूल रहे हैं। कुछ जगहों पर तारों की ऊंचाई जमीन से महज कुछ ही दूर रह गई है। जगह-जगह तारों में जोड़ है और जर्जर होने की वजह से लोड़ नहीं ले पा रहे। तार टूटने पर बिजली विभाग के कर्मचारी किसी तरह पुराने तारों की जोड़ गांठ कर देते हैं। साथ ही साथ यह भी बताया कि उमरापुर गांव विद्युत उपकेंद्र सरेनी व फीड़र देवपुर के अंतर्गत आता है। गांव में बिजली के तारों की समस्या काफी गंभीर है।
जर्जर झूलते बिजली के तार ग्रामीणों के लिए मुसीबत बन गए हैं तथा काफी पुराने होने के कारण बिजली के तारों में भार उठाने की क्षमता बिल्कुल ही खत्म हो गई है। नतीजतन बिजली के तार अक्सर चलती लाइन में टूट कर गिरते रहते हैं। अक्सर वहां छोटे-छो टे बच्चे खेलते रहते हैं, जिससे हर समय बड़ा हादसा होने की संभावना बनी रहती है। नाम न छापने की शर्त पर कर्मचारियों ने बताया कि जर्जर तारों की वजह से अक्सर फाल्ट आ रही है।
यदि जर्जर तारों को बदल दिया जाए तो आय दिन आ रही समस्या से ग्रामीणों को निजात मिल सकती है। वहीं किसान यूनियन प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार दीक्षित, राजेंद्र प्रसाद शुक्ला (पूर्व प्रधानाचार्य), धीरेंद्र कुमार दीक्षित, शशांक दीक्षित, अनुराग अवस्थी, रमेश यादव आदि ग्रामीणों ने बताया कि कई बार उक्त मामले की शिकायत संबंधित विभाग से की गई। इसके बावजूद अधिकारियों की ओर से कोई सुनवाई नहीं हुई और समस्या जस की तस बनी हुई है। वहीं एसडीओ व जेई सरेनी का नंबर कवरेज क्षेत्र के बाहर होने के चलते उक्त मामले में उनका पक्ष नहीं जाना जा सका।




















