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दरोगा केके मिश्रा की कार्यशैली से क्षेत्रीय जनता नाखुश
…तो क्या कोतवाल आप भी ऐसे दरोगाओं को देते हैं संरक्षण?
संदीप पाण्डेय
महराजगंज, रायबरेली। दरोगा की बदजुबानी एवं परिजनों को चुभने वाले कहे गए शब्दों ने युवक की जान लेने में कसर नहीं छोड़ी। वहीं अपने कमाऊ पूत मिश्रा जी को बचाने में पुलिसिया सिस्टम सक्रिय हो गया हैं। बताते चलें कि रविवार को कोटवा मदनिया निवासी मृतक युवक वीरेंद्र की पत्नी का झगड़ा उसकी सास से हो गया जिस पर मामला थाने में हल्का दरोगा केके मिश्रा को मिल गया जहां मृतक वीरेंद्र के सामने ही दरोगा ने उसके माँ को बेइज्जत करने तथा वीरेंद्र को शर्मिंदा करने वाले सवालों सहित बाप को गाली गलौज देने में कसर नहीं छोड़ी। मामले में थाने से निकला युवक रविवार को घर ही नहीं पहुंचा जिसकी सोमवार को कुंदनगंज स्थित रेलवे ट्रैक पर ट्रेन से कटी लाश मिली।
मामले में परिजनों द्वारा दरोगा को ज़िम्मेदार ठहराने एवं पोस्टमार्टम के बाद कोतवाली में शव रख धरना देने की बात मुखबिर द्वारा कोतवाली पहुंचने पर कुंभकर्णी नींद से जगे जिम्मेदारों द्वारा किरकिरी से बचने एवं कमाऊपूत को बचाने की जतन में “किसी तरह शव थाने ना आए” इस काम में विभाग जुट गया। खैर, परिजनों को मनाने एवं गांव में ही मंगलवार को दाह संस्कार कराने में पुलिस की “हाथ जोड़ों” नीति कामयाब रही किन्तु दरोगा पर विभागीय कार्यवाही ना होना खाकी के मानवीय पहलू “मित्र पुलिस” पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। प्रकरण में कोतवाल बालेन्दु गौतम ने बताया कि उच्चाधिकारियों को मामले से अवगत करा दिया गया है।




















