दान, व्रत, तीर्थ पुण्यादि कर्मों से बढ़कर है भागवत सुनना: कथा व्यास

शिवमंगल अग्रहरि
चित्रकूट। श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास ने राजा परीक्षित जन्म, कपिलोख्यान की कथा का रसपान श्रोताओं को कराया जिसे सुन श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। बुधवार को मुख्यालय के तरौंहा स्थित रामलीला मैदान में राष्ट्रीय रामायण मेला के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष स्व राजेश करवरिया की पुण्यतिथि पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा प्रवक्ता बदरी प्रपन्नाचार्य ने बताया कि जब अश्वत्थामा ने ब्रह्मास्त्र चलाया तो उत्तरा के गर्भ की रक्षा भगवान श्रीकृष्ण ने किया। यही बालक राजा परीक्षित के नाम से विख्यात हुआ। कलियुग के प्रकोप के कारण राजा की बुद्धि भ्रमित हो गई और एक ऋषि के शाप से ग्रसित हो गए।
उनकी मृत्यु सर्प के काटने से होने का शाप ऋषि ने दिया। मृत्यु के भय से मुक्त होने के लिए उन्होंने शुकदेव की शरण में जाकर भागवत कथा सुना। कपिल उपदेश जीवन को जीने की कला सिखाता है। पाप, मोह, माया, लोभ से दूर रखता है। कथा व्यास ने बताया कि श्रीमद् भागवत केवल पुस्तक नहीं साक्षात श्रीकृष्ण स्वरूप हैं। इसके एक-एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाए हुए हैं। कथा सुनना, दान, व्रत, तीर्थ पुण्यादि कर्मों से बढकर है। कथा सुनकर पंडाल में मौजूद श्रद्धालु भाव—विभोर हो गये। इस अवसर पर मुख्य यजमान पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष नीलम करवरिया, रामायण मेला के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया, राजा बाबू पांडेय, करुणा शंकर द्विवेदी, माघेन्द्र द्विवेदी, आत्माराम करवरिया, मनोज गर्ग आदि श्रोतागण मौजूद रहे।

 

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