सेमरिया जगन्नाथवासी में लगी पानी की पाठशाला

शिवमंगल अग्रहरि
चित्रकूट। जल ही जीवन है कहने भर से कुछ नही होगा बल्कि जल खुद जीवन मांग रहा है कि मुझे जीवन दो और अपना जीवन सुरक्षित रखो। जल संकट से सामना होते ही आदमी पागल हो जाता है। कल्पना करिए एक दिन पानी न मिले तो दिनचर्या से लेकर रात तक कुछ नहीं कर पाएंगे।
इसलिए पानी की पाठशाला विश्व के किसी भी विश्वविद्यालय से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। देश में 25 करोड से अधिक युवा बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं, जिन्हें समुदाय के आधार पर पुरखों के जल जोडने के बेजोड तरीकों के बारे में बताना होगा। प्राथमिक विद्यालय, माध्यमिक विद्यालय, हाई स्कूल और इण्टर कॉलिज में दो सप्ताह में एक दिन स्कूल में पानी की पाठशालाएं बगैर पैसे के किसानों के ज्ञान के आधार पर लगाई जानी चाहिए।
जल ही जगन्नाथ है, पानी ही परमेश्वर है, जल शक्ति विद्यापीठ ने इस दिशा में एक सामुदायिक पहल की है। अधिकांश गांव में पानी की पाठशालाओं की मांग हो रही है। आदमी को मालूम सबकुछ है, लेकिन उसे ज्ञान नही है। भविष्य के लिए चेतना विकसित करने के लिए पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय ने एक अनोखी पाठशाला की शुरूआत की है।
उन्होंने उत्तर प्रदेश की पहली चलती फिरती पाठशाला गुरुवार को जनपद के सेमरिया जगन्नाथवासी गांव के पंचायत भवन में लगायी। गांव की जल योद्धा पूर्व प्रधान दिव्या त्रिपाठी कहा कि बडे गर्व और सौभाग्य की बात है कि जल के इतिहास में उनके गाँव सेमरिया जगन्नाथवासी का नाम स्वर्ण अक्षरों मे अंकित होगा।
पानी की पाठशाला की शुरूआत ही इस गांव से हुई है तो भविष्य मे गांव एक बडा उदाहरण बनेगा। फिल्म निर्देशक अशोक शरण ने कहा कि अफ्रीका एक शहर केप टाउन इसलिए प्रसिद्ध है कि वहाँ जल नही है और लोगों को वहाँ से बाहर रहने की सलाह दी गई। इस तरह वह दुनिया का पहला निर्जल शहर हो गया। एक दिन बिना पानी के पूरा गांव और पूरा शहर निर्जन हो सकता है।
जलशक्ति विद्यापीठ के सचिव अंकित कुमार ने कहा कि यह पाठशाला निरंतर संपूर्ण उत्तर प्रदेश और बाद में देश भर में लगेगी। संतोष त्रिपाठी ने सेमरिया जगन्नाथवासी को अटल भूजल योजना के अंतर्गत लाए जाने की उम्मीद जताई जिससे समाज और सरकार के संयुक्त प्रयास से सेमरिया जगन्नाथवासी जलग्राम के रूप में पहचान हासिल करेगा। दिव्या त्रिपाठी ने कहा कि पानी के लिए तीसरा विश्व युद्ध न हो जिसके लिए पानी की पाठशाला बडी भूमिका निभाएगी। कार्यक्रम में ग्रामीणों को जागरूक कर जल संरक्षण के लिए शपथ ली गई।

 

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