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विज्ञान भारती व बुंविवि के रसायन विभाग ने किया आयोजन
मुकेश तिवारी
झांसी। विज्ञान भारती एवं बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के रसायन विभाग द्वारा कुलपति समिति कक्ष में रसायन वैज्ञानिक पीसी रे की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो आरके सैनी ने कहा कि आज सभी शिक्षक और छात्र सम्मिलित रूप से प्रोफेसर पीसी रे की जयंती मना रहे हैं। भारतीय वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं वैज्ञानिक प्रतिभा का लोहा संपूर्ण दुनिया मानती है। उन्होंने विज्ञान भारती एवं रसायन विभाग को बधाई दी।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता विज्ञान भारती के महानगर अध्यक्ष प्रो. अवनीश कुमार ने बताया कि स्वदेशी विज्ञान आंदोलन (एसएसएम) जिसे विज्ञान भारती भी कहा जाता है, वैज्ञानिक प्रगति का प्रसार करने के लिए समर्पित एक प्रमुख गैर-लाभकारी संगठन है, जिसकी स्थापना 7 नवंबर, 1982 को सर सीवी रमन के जन्मदिन पर आईआईएससी, बेंगलुरु के प्रोफेसर केआई वासु और उनके सहयोगियों द्वारा की गई थी। रसायन विज्ञान की समन्वयक डॉ. गौरी खानवलकर ने विषय की प्रस्तावना रखी।
उन्होंने बताया कि प्रफुल्ल चंद्र राय, एक भारतीय रसायनज्ञ, शिक्षाविद्, इतिहासकार, उद्योगपति और परोपकारी थे। उन्होंने रसायन विज्ञान (शास्त्रीय युग के बाद) में पहले आधुनिक भारतीय अनुसंधान विद्यालय की स्थापना की और उन्हें भारतीय रसायन विज्ञान का जनक माना जाता है। रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री ने यूरोप के बाहर पहली बार केमिकल लैंडमार्क प्लाक के साथ उनके जीवन और काम का सम्मान किया।
वह भारत की पहली फार्मास्युटिकल कंपनी बंगाल केमिकल्स एंड फार्मास्यूटिकल्स के संस्थापक थे। वह ए हिस्ट्री ऑफ हिंदू केमिस्ट्री फ्रॉम द अर्लीएस्ट टाइम्स टू द मिडल ऑफ द सिक्सटीन्थ सेंचुरी (1902) के लेखक हैं। इसके साथ ही छात्रों के बीच प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। अतिथियों का स्वागत विज्ञान भारती के सचिव डॉ. बीएस भदोरिया ने किया। संचालन डॉ. प्रकाश चंद्र एवं आभार विज्ञान भारती के नगर अध्यक्ष डॉ. कमलेश बिलगैयां ने किया।
इस अवसर पर प्रो. सुनील प्रजापति, डॉ. धीरेंद्र शर्मा, डॉ. प्रकाश चंद्र, डॉ. चित्रा गुप्ता, डॉ. आनंद त्रिवेदी, डॉ. कुसुम सिंह, डॉ. राजीव सिंह, डॉ. गौरव निगम, डॉ. राजकुमार, डॉ. ललित गुप्ता, डॉ. मुकुल पस्तोर, डॉ. विहंगेश दीक्षित, डॉ. पूनम मल्होत्रा, डॉ. अतुल मकरारिया, डॉ. ममता सिह, इं. केशव तिवारी, डा. अंजली सक्सेना आदि उपस्थित रहे।