अजय पाण्डेय
जौनपुर। संभागीय परिवहन कार्यालय में अब दलालों के माध्यम से अपाहिजों का भी ड्राइविंग लाइसेंस (चालक प्रमाण पत्र) बन रहा है। बतातें चले कि विनोद कुमार जो की रहने वाले तहसील बदलापुर क्षेत्र के हैं।
उन्होंने दलाल के माध्यम से मेडिकल को छुपाते हुए अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनाने का अथक प्रयास कर रहे थे। उस समय फोटो तक उनके कागजात पहुंच चुके थे। जिसमें स्कूटीनिंग को दरकिनार कर दलाल के माध्यम से यह सीधे फोटो कराना चाहते थे।
तभी विभागीय फोटो लेने अथवा करने वाले कर्मचारी ने इनकी स्कूटीनिंग ना होने का दावा किया जिस पर इन्होंने विभागीय किसी साहब शब्द से संबोधित कर उन्हें डराने का प्रयास किया परन्तु फोटो करने वाला कार्यकर्ता स्कूटीनिंग कक्ष में गया जहां दो टेबल पर विभागीय कर्मचारी मिलकर फॉर्म की स्कूटी करते हैं।
वहां पता लगा यह व्यक्ति हैंडिकैप्ड है इनकी हाथों में उंगलियां नहीं है उनकी उंगलियां कटी हुई है फिर भी यह व्यक्ति सुबह से तीन बार हम लोगों को परेशान कर रहा है। जबकि किसी दलाल द्वारा बनवाया रहा है।
नियमावली के अनुसार इनकी स्कूटीनिंग और ड्राइवरी लाइसेंस बनाने हेतु संभागीय परिवहन अधिकारी ही संभावित कुछ कर सकते हैं कि इनका चालक प्रमाण पत्र बनेगा या नहीं। परंतु दलाल के माध्यम से विनोद कुमार ने अथक प्रयास किया। यदि इसी प्रकार दलालों का बोलबाला इसी तरह चलता रहा तो सभी अनैतिक व गलत कार्य एआरटीओ ऑफिस में संभावित रूप से किया और कराया जा सकता है।
इस पर अधिकारियों की ढीलवाई कहें या अनुशासनहीनता। इस प्रकरण को संज्ञान में लेते हुए सक्षम अधिकारी को दलालों पर कानूनी तौर से रोक लगानी चाहिये अन्यथा विभागीय लोगों और दलालों की मिलीभगत से कुछ भी करना कराना सम्भव है।