Jaunpur: शिव महापुराण कथा में शिव—पार्वती विवाह पर झूमे श्रद्धालु

  • समय का जो पालन करता है, शिव उसे स्वीकार करते हैं: रविशंकर जी

चन्दन अग्रहरि
शाहगंज, जौनपुर। स्थानीय नगर में स्थित एक वाटिका में शिव महापुराण कथा के चौथे दिन श्री रविशंकर जी महाराज ने व्यास पीठ से कथामृत बरसाते हुए शिवतत्व की महिमा बताई।

सती के देह त्याग के बाद हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लेने से लेकर शिव पार्वती विवाह तक का वर्णन किया गया। शिव विवाह की कथा में श्रोता झूम उठे। इस दौरान पुष्कर तीर्थ की उत्पत्ति के लिए आयोजित यज्ञ में ब्रह्मा सावित्री की कथा का वर्णन भी किया गया। साथ ही कहा कि जो व्यक्ति समय का पालन करता है, शिव जी उसे स्वयं स्वीकार करते हैं। कहा संसार में कोई बुरा नहीं है। कर्म बुरे होते हैं।
उन्होंने कहा कि जब निर्णय लेने का वक्त आए तो शिव का ध्यान करके निर्णय लो। यदि निर्णय नहीं कर पाओ तब माता-पिता के सामने या सद्गुरु के सामने जाकर विचार करना। इसके बाद भी निर्णय लेने में चित्त काम नहीं कर रहा हो तो सात दिन शिवपुराण में जाकर बैठ जाना। सब अच्छा ही होगा। भोलेनाथ को पाने के लिए अहंकार छोड़ना पड़ता है। रावण, कौरव और कंस अभिमान में ही चले गए।
उन्होंने कहा कि कथा सुनते समय, नदी में स्नान करते समय, पूजा करते समय, मंदिर में जाते समय, कभी मन में गलत विचार मत लाना, अन्यथा उसी के अनुसार तुरन्त फल मिल जाता है। कथा के दौरान एक ने प्रश्न पूछ लिया कि संत, ब्राह्मण, गुरु, कथा वाचक धन क्यों लेते हैं तो मैंने कहा कि माया रोती है, इसलिए माय की काया पलटने के लिए माया ली जाती है जैसे का वर्णन हुआ। अपार जनसमूह के सम्मुख शिव पार्वती विवाह संपन्न हुआ।
इस अवसर पर अनिल मोदनवाल, मनोज अग्रहरि, प्रदीप जायसवाल, गीता जायसवाल, सुमन गुप्ता, भुवनेश्वर मोदनवाल, वेद प्रकाश जायसवाल, धीरज पाटिल, सुशील सेठ बागी, कोतवाली प्रभारी निरीक्षक मनोज ठाकुर सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।

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