श्रीकृष्ण भगवान की बाल लीला है जीवन जीने की कला: प्रपन्नाचार्य

शिवमंगल अग्रहरि
चित्रकूट। श्रीमद्भागवत कथा के 5वें दिन कथा व्यास ने भगवान श्रीकृष्ण बाल उत्सव, गोवर्द्धन पूजा की कथा सुनाई। भजन संगीत सुन श्रोतागण मंत्र—मुग्ध रहे। शनिवार को मुख्यालय के तरौंहा स्थित रामलीला मैदान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस कथा व्यास बदरी प्रपन्नाचार्य ने बताया कि श्रीकृष्ण भगवान की बाल लीला केवल कहानी नहीं जीवन जीने की कला है। भगवान की हर लीला में अध्यात्म छिपा है। मिट्टी खाकर भगवान ने मिट्टी तत्व को शुद्ध किया। अग्निपान करके अग्नि तत्व को शुद्ध किया।
काली नाग को नाथ कर जल तत्व को शुद्ध किया। जल ही जीवन है। यह सूत्र भगवान ने दिया। प्रकृति की सुरक्षा गोवर्धन पूजा की कहानी से सीखा जा सकता है। पर्यावरण सुरक्षित है तो संसार सुरक्षित है। कथा व्यास ने कहा कि भगवान ने अपनी बाल लीला में गो संवर्धन का काम किया। बालक के 16 संस्कार किए जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण को मधुरास्तक बेहद प्रिय है। भगवान के पर्दा खोलने और बंद करने के पहले मधुरास्तक कहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बच्चे के जन्म के छठवें दिन भाग्य लिखा जाता है। ऐसे में माता-पिता को इस दिन प्रार्थना करना चाहिए कि बालक का भविष्य अच्छा हो। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के पूर्व योग माया ने कंस के छाती में लात मारकर कह गई कि तुम्हें मारने वाला पैदा हो गया है तो कंस ने पूतना को भेजकर कहा कि जो इस समय बच्चे पैदा हुए, सबको मारकर आओ।
इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने सभी बच्चों की जान बचाते हुए सबसे पहले अपने पास बुला लिया। पूतना राक्षसी ने गोपी का वेश धारण कर अंदर चली गई और यशोदा से प्रभु श्रीकृष्ण को खिलाने के लिए ले लिया। पूतना अपने स्तन पर विष लगाकर श्रीकृष्ण को पिलाना चाहा लेकिन श्रीकृष्ण ने उसके प्राणों का पान किया।
इस अवसर पर मुख्य यजमान पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष नीलम करवरिया, राष्ट्रीय रामायण मेला के कार्यकारी अध्यक्ष प्रशांत करवरिया, पवन करवरिया, बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय करवरिया, वेदरतन करवरिया, राजेश भारद्वाज, अमरनाथ द्विवेदी आदि माौजूद रहे।

 

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