मां कभी वापिस नहीं आती

उम्र दो साल- मम्मा कहाँ है? मम्मा को दिखा दो, मम्मा को देख लूँ, मम्मा कहाँ गयी?
उम्र चार साल- मम्मी कहाँ हो? मैं स्कूल जाऊँ? अच्छा bye मुझे आपकी याद आती है स्कूल में…
उम्र आठ साल- मम्मा, लव यू, आज टिफिन में क्या भेजोगी? मम्मा स्कूल में बहुत होम वर्क मिला है..
उम्र बारह साल- पापा, मम्मा कहाँ है? स्कूल से आते ही मम्मी नहीं दिखती तो अच्छा नहीं लगता…
उम्र चौदह साल- मम्मी आप पास बैठो ना, खूब सारी बातें करनी है आपसे…
उम्र अठारह साल- ओफ्फो मम्मी समझो ना, आप पापा से कह दो ना, आज पार्टी में जाने दें…
उम्र बाईस साल- क्या माँ? ज़माना बदल रहा है, आपको कुछ नहीं पता, समझते ही नहीं हो…
उम्र पच्चीस साल- माँ, माँ जब देखो नसीहतें देती रहती हो, मैं दूध पीता बच्चा नहीं…
उम्र अठाईस साल– माँ, वो मेरी पत्नी है, आप समझा करो ना, आप अपनी मानसिकता बदलो…
उम्र तीस साल- माँ, वो भी माँ है, उसे आता है बच्चों को सम्भालना, हर बात में दखलंदाजी नहीं किया करो…
और उसके बाद माँ को कभी पूछा ही नहीं। माँ कब बूढ़ी हो गयी, पता ही नहीं उसे। माँ तो आज भी वही हैं, बस उम्र के साथ बच्चों के अंदाज़ बदल जाते हैं…
उम्र साठ साल- फ़िर एक दिन माँ, माँ चुप क्यों हो? बोलो ना, पर माँ नहीं बोलती, खामोश हो गयी…
माँ, 2 साल से 50 साल के इस परिवर्तन को समझ ही नहीं पायी, क्योंकि माँ के लिये तो 50 साल का भी प्रौढ़ भी, बच्चा ही है, वह बेचारी तो अंत तक है। बेटे की छोटी सी बीमारी पर वैसे ही तड़प जाती जैसे उस के बचपन में तडपती थी।
और बेटा, माँ के जाने पर ही जान पाता है कि उसने क्या अनमोल खजाना खो दिया…? ज़िन्दगी बीत जाती है। कुछ अनकही और अनसुनी बातें बताने कहने के लिए। माँ का सदा आदर सत्कार करें। उन्हें भी समझें और कुछ अनमोल वक्त उनके साथ भी बिताएं, क्योंकि वक्त गुज़र जाता है लेकिन माँ कभी वापिस नहीं मिलती..

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