मुकेश तिवारी
झांसी। भारत अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र गुरुग्राम, चाणक्य वार्ता, बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी, केंद्रीय विश्वविद्यालय ओडिशा, डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर, हंसराज कालेज दिल्ली विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कांति देवी जैन स्मृति त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय व्याख्यानमाला के पंचम संस्करण के प्रथम दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने विशेष संदेश में कहा कि व्याख्यानमाला का विषय “भारतवंशी संस्कृति” सराहनीय है। जब भी मैं किसी विदेशी दौरे पर जाता हूँ तो मेरा यह प्रयास रहता है कि वहां रह रहे अपने देश से जुड़े लोगों से अवश्य मिल सकूं। उनसे मिलकर मैंने ये महसूस किया कि भारतवंशी विश्व के किसी भी हिस्से में हों, उनका अपनी संस्कृति व संस्कारों से गहरा जुड़ाव है।
विदेशों में हमारे भारतवंशी साथी देश के राष्ट्रदूत के रूप में अपनी प्रतिभा, लगन व परिश्रम से एक अलग पहचान बनाते हुए भारत का मान बढ़ा रहे हैं। वह अपनी मातृभूमि की उपलब्धियों पर सीना तानकर सर ऊंचा करके गर्व करते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत काल में हम एक भव्य व विकसित भारत के निर्माण की दिशा में अग्रसर हैं।
अवसरों से भरे इस कर्तव्य काल में हर भारतवंशी का प्रयास राष्ट्र को प्रगति की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने में योगदान देगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि कांति देवी जैन स्मृति न्यास, नई दिल्ली, पाक्षिक पत्रिका चाणक्य वार्ता और दिल्ली विश्वविद्यालय के हंसराज कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस व्याख्यानमाला में लोगों को “भारतवंशी संस्कृति” से जुड़े विभिन्न पहलुओं को जानने का अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों व आयोजकों को अपनी ओर से हार्दिक शुभकामनाएं भी दी।
मुख्य अतिथि छतीसगढ़ के राज्यपाल रामेन डेका ने कहा कि इस व्याख्यानमाला का विषय “भारतवंशी संस्कृति” सुनकर हमारा सीना गर्व से भर जाता है, क्योंकि भारतवंशी जहां भी गए, वहां अपनी भाषा, अपना ज्ञान, अपनी संस्कृति लेकर गए और वहां अपना विशिष्ट स्थान बनाया।
उन्होंने अफ्रीका, यूरोप, अमेरिका आदि देशों में जाकर भारतीय त्यौहार, संगीत व भारतीय मूल्यों को बनाये रखा। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की अनमोल विरासत है जिसका पूरी दुनियां में प्रसार- प्रचार हो रहा है। भारतवंशियों ने फिजी, मारीशस, ब्रिटेन, अमेरिका आदि देशों में राजनीतिक, व्यवसायिक व आईटी क्षेत्रों में अपनी मेहनत, संघर्ष व भारतीय संस्कृति के बल पर अपना परचम लहराया है।
महामहिम राज्यपाल ने कहा कि भारतवंशी हर परीक्षा में खरे उतर रहे हैं। अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय विश्वविद्यालय ओडिशा के कुलपति प्रो चक्रधर त्रिपाठी ने कहा कि कोरापोट (उड़ीसा) में जहाँ हमारा विश्वविद्यालय है, वह विश्व का ऐसा स्थान है जहाँ सबसे पहले धान की खेती हुई।
वह भी बिना रासायनिक खाद के। उन्होंने कहा कि यहां आदिवासी क्षेत्र है और केवल दो फ़ीसदी महिलाएं ही शिक्षित है लेकिन लोग सामूहिक व सामाजिक रूप से मिलकर खेती करते हैं और हिन्दू संस्कृति के मूलमंत्र, पंचतंत्र की पूजा करते हैं।
नीदरलैंड्स से जुड़े लेखक एवं वरिष्ठ चिंतक इंद्रेश कुमार ने कहा कि वर्षों पहले यहां आने के बाद भी भारतवंशियों ने अपनी संस्कृति को सहेज कर रखा है। यहां 2 प्रतिशत जनसंख्या भारतीयों की है। जिनमें डॉक्टर, इंजीनियर, आईटी क्षेत्र सहित अन्य क्षेत्रों में अपनी प्रतिभाओं को प्रदर्शित करने वाले युवा भारतीय देखे जा सकते है।
ट्यूबिंगन यूनिवर्सिटी जर्मनी से जुड़े दिव्यराज अमिय ने कहा कि भारतवंशियों ने यहां आकर सारे त्योहार मनाकर उल्लास की भरपाई कर दी है। जर्मनी की भाषा में एक नहीं, बल्कि अनेकों शब्द ऐसे है जो भारतीय भाषाओं से लिये गए हैं। अमेरिका से जुड़ी डिजिटल क्रियेटर डॉ निरुपमा गुप्ता ने कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हम भारत में पैदा हुए।
उन्होंने बताया की कैसे अमेरिका जैसी जगह भारतीय संस्कृति ठीक उसी प्रकार लोगो को आकर्षित करती है। स्वागत हंसराज कालेज की प्राचार्या प्रो. रमा ने किया। संचालन कनाडा से लेखक एवं चिंतक धर्मपाल महेंद्र जैन ने किया। आयोजक डॉ अमित जैन ने विषय प्रवर्तन किया और 2020 से 2023 तक की व्याख्यानमालाओं का सार प्रस्तुत किया।
बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ कौशल त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रोताओं ने भाग लिया। इस अवसर पर आरपी तोमर, हेमंत उपाध्याय, धीरेन बारोट, गौरव कुमार, प्रो. अवनीश कुमार, डॉ हंसा दीप, सोनम जैन, अंकुर जैन, मनीष झा, ईश्वर करूण, डॉ अमर सिंघल, रमेश गुप्ता, डॉ मैथिली राव आदि का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।