मुकेश तिवारी झांसी। राष्ट्रीय सर्पदंश नियंत्रण कार्यक्रम को लेकर सीएमओ कार्यालय सभागार में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सकों व फार्मासिस्ट का एक दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
इस संबंध में सीएमओ डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि सर्पदंश के मामलों में कमी लाने एवं ट्रीटमेंट प्रोटोकोल के अनुसार सर्पदंश से पीड़ित मरीज का इलाज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर किए जाने हेतु प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से एक चिकित्सक एवं फार्मासिस्ट को प्रशिक्षित किया गया है। पूरे प्रदेश में वर्ष 2030 तक सर्पदंश के मामलों में 50 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। सभी सर्पदंश केस में से लगभग आधे में ही विष का प्रभाव मिलता है क्योंकि सभी सांप जहरीले नहीं होते हैं।
जनपद के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला अस्पताल, मेडीकल कॉलेज में एएसवी उपलब्ध है। एसीएमओ डॉ. एनके जैन ने बताया कि भारत में न्यूरोटूक्सिन, वैस्कुलोटॉक्सिन टाइप के सांप पाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश में 38 प्रकार के सांप पाए जाते हैं, जिनमें मात्र 18 प्रजाति जहरीली हैं जैसे कोबरा, करैत, रसेल वाइपर, सा स्केल्ड वाइपर इत्यादि। सर्पदंश का सामुदायिक स्तर पर प्राथमिक उपचार किया जाना आवश्यक है।
इसमें पीड़ित अंग को फ्रैक्चर अंग की तरह स्थिर किया जाता है एवं रक्त का प्रवाह बंद ना हो पाए, ऐसी व्यवस्था की जाती है। फेफड़ों में उल्टी जाने के जोखिम को कम करने के लिए रोगी को बाईं ओर करवट से लिटा कर सही चिकित्सा देखभाल के लिए 108 एंबुलेंस का प्रयोग कर तुरंत निकटतम चिकित्सा इकाई पर ले जाना चाहिए।
नोडल अधिकारी एवं प्रशिक्षक डॉ. उत्सव राज ने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात चिकित्सक एवं फार्मासिस्ट द्वारा ब्लॉक स्तर पर अन्य चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण देकर सर्पदंश के मामलों में कमी लाने हेतु प्रशिक्षित करेंगे। समाज में प्रचलित भ्रांतियों एवं अवधारणाओं के अनुसार अनुचित गैर प्रभावी इलाज में समय बर्बाद किए जाने से शरीर में सांप का जहर फैल सकता है जिससे व्यक्ति की मौत हो सकती है।
अतः यह आवश्यक है कि ग्रामीण स्तर पर कार्यरत सभी आशाओं, एएनएम व फील्ड स्टाफ को यह जानकारी अवश्य दी जाए कि सांप द्वारा काटने के पश्चात पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अथवा जिला चिकित्सालय अथवा मेडिकल कॉलेज ले जाया जाए।
प्रशिक्षक एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. अनुराधा राजपूत ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को सांप काट ले तो पीड़ित को अधिक तनावग्रस्त न होने दें। घाव पर किसी प्रकार का मलहम आदि न लगाएं। घाव पर चीरा न लगाएं। जहर को मुंह से निकालने का प्रयास न करें एवं झाड़-फूंक में समय नष्ट न करते हुए डॉक्टर के पास शीघ्र जाएं। सांप को मारने या पकड़ने का प्रयास ना करें।
साथ ही पीड़ित व्यक्ति को किसी प्रकार की उत्तेजक या दर्द निवारक दवाई ना दें। इस प्रशिक्षण में जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ रमाकांत स्वर्णकार, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डॉ विजयश्री शुक्ला, आदित्य प्रकाश, योतेश सेजवार, दिलीप, विवेक सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से चिकित्सक व फार्मासिस्ट उपस्थित रहे।