अश्वनी सैनी/मोहित सैनी
उन्नाव। शहर के विकास भवन सभागार में मंगलवार को डीएम गौरांग राठी की अध्यक्षता व सीडीओ प्रेम प्रकाश मीणा की उपस्थिति में पशुओं को पौष्टिक चारा के लिए मनरेगा योजनान्तर्गत एजोला उत्पादन, नेपियर एवं पशुओं की सुरक्षा हेतु गौशाला में बायोफेन्सिंग की व्यवस्था के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में उपायुक्त (श्रम रोजगार), मुनेष चन्द्र ने एजोला व नेपियर घास के पौष्टिक तत्वों के बारे में बताया कि इस घास में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है तथा एजोला को कम लागत में क्रियान्वित किया जा सकता है। यह घास बारहमासी होती है। नेपियर घास पशुओं के लिये अत्यन्त लाभदायक है।
इस अवसर पर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा इन घासों को कैसे उगाएं और प्रयोग में लाएं, के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी गयी। इसके साथ ही गौशाला में बबूल, नागफनी, करौंदा, बांस की बायोफेन्सिंग कर पशुओं की सुरक्षा के बारे में भी बताया गया। कार्यशाला में जिलाधिकारी द्वारा एजोला व नेपियर घास को समय पर लगाने तथा बायोफेन्सिंग को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने के निर्देश दिये।
उन्होंने निर्देश दिए कि एजोला एवं नेपियर घास समस्त जगहों पर सही तरह से उत्पादित की जा सके, और मानक संचालन प्रक्रिया जारी की जाए। ग्राम प्रधानों के साथ खुली बैठक कर उपरोक्त कार्यों पर चर्चा कर इन्हे क्रियान्वित किया जाए। डीएम ने निर्देश दिये कि एजोला एवं नेपियर घास को फसल चक्र के मुताबिक उगाया जाए, ताकि वर्ष भर जानवरों को हरा चारा मिलता रहे।
उन्होंने कहा कि गौशालाओं में कम खर्चे में पशुओं की सुरक्षा हेतु बायोफेंसिंग कराना अधिक प्रभावी होगा। उन्होंने कार्यशाला में प्रतिभाग करने वालों को बधाई देते हुए कहा कि इस कार्य में जन प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए। सीडीओ ने बताया कि एजोला और नेपियर घास पशुओं के स्वास्थ के लिये अत्यन्त उपयोगी है।
उन्होंने ग्राम पंचायतों में मनरेगा मजदूरों को रोजगार तथा अमृत सरोवर एवं खेल मैदान आदि का निर्माण कराने के निर्देश दिये। कार्यशाला में डा. आनन्द सिंह, वैज्ञानिक पशु विज्ञान सीतापुर, डा. महावीर सिंह, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, शशांक चौधरी जिला कृषि अधिकारी, खण्ड विकास अधिकारी, कार्यक्रम अधिकारी, समस्त अतिरिक्त, कार्यक्रम अधिकारी ग्राम प्रधान, तकनीकी सहायक तथा ग्राम सचिव आदि मौजूद रहे।