चतुर्थ देवी दुर्गा मां कुष्मांडा

या देवी सर्वभतेषु माँ
कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै
नमस्तस्यै नमो नमः॥
सुरासम्पूर्ण कलशं
रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां
कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
चतुर्थ नवदुर्गा देवी माँ कुष्मांडा,
अपनी मंद हँसी से ब्रह्मांड को,
उत्पन्न करने वाली देवी माता हैं,
इन्हें माँ कूष्मांडा कहा जाता है।
संस्कृत में कूष्मांडा कुम्हड़ा होता है,
माता को कुम्हड़े की बलि प्रिय है,
इसीलिये माँ कूष्माण्डा कहलाती हैं,
और ब्रह्माण्ड का निर्माण करती हैं।
यह देवी माँ सर्वत्र विराजमान हैं,
कुष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे,
आपको मेरा बार-बार प्रणाम है,
मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।
आदित्य माँ कूष्मांडा को मालपुये
का नैवेद्य अर्पित किया जाता है,
जो योग्य ब्राह्मण को दिया जाता है,
ऐसे दान से सब विघ्न दूर हो जाता है।
कर्नल आदिशंकर मिश्र ‘आदित्य’
जनपद—लखनऊ

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