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Wednesday, November 13, 2024
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त्रिपुष्कर, इंद्र, वैधृति योग व उत्तरा नक्षत्र में मनेगा धनतेरस, मिलेगा 13 गुना फल

सुख, समृद्धि और उजास के महापर्व दीपोत्सव की शुरुवात मंगलवार से होगी। इस मौके पर आरोग्य के जनक भगवान धन्वंतरि की आराधना की जायेगी। कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन को धन त्रयोदशी या धनवंतरि जयंती भी कहा जाता है. धनतेरस पर मां लक्ष्मी, भगवान धनवन्तरी और कुबेर की उपासना करने से घर में धन के भंडार कभी खाली नहीं होते हैं. धनतेरस की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 10 बकर 31 मिनट पर शुरू हो जाएगी और तिथि का समापन 30 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर होगा. धनतेरस के दिन इस बार 100 साल बाद त्रिग्रही योग यानी त्रिपुष्कर योग, इंद्र योग, वैधृति योग और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है।

ज्योतिषियों का कहना है कि यह शुभ योग में आर्थिक उन्नति हो सकती है। इस योग में खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है. पहला मुहूर्त 29 को सुबह 6 बजकर 31 मिनट से लेकर 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. दूसरा मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 42 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 27 मिनट तक. गोधूलि मुहूर्त शाम 5 बजकर 38 मिनट से लेकर 6 बजकर 04 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में भी खरीदारी की जा सकती है। जबकि पूजन का मुहूर्त शाम में 6 बजकर 31 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 31 मिनट तक है। पूजन के लिए 1 घंटा 42 मिनट मिलेगा

सुरेश गांधी
धनतेरस यानी “धन“ और “तेरस“, यानी धन और समृद्धि। तेरस यानी कैलेंडर का 13 वां दिन। इस दिन भगवान धन्वतरि, जो स्वास्थ्य के देवता हैं उनकी पूजा की जाती है। इनकी आराधना से रोग से मुक्ति मिलती है। इस दिन कुबेर देव और देवी लक्ष्मी की पूजा करने की भी परंपरा है। पुष्य नक्षत्र के बाद यह खरीदारी के लिए बड़ा मुहूर्त माना जाता है। धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग में सोना-चांदी, वाहन, मकान सहित अन्य वस्तुओं की खरीदारी करना बहुत ही शुभ फलदायी माना जाता है।

कहते है इस दिन खरीदारी करने से न सिर्फ तीन गुना फल मिलता है, बल्कि त्रिपुष्कर के साथ ही लक्ष्मीनारायण योग के चलते गुरु पुष्य के बाद खरीदारी का यह दूसरा सबसे बड़ा महामुहूर्त है। त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 29 को सुबह 10.31 से 30 अक्टूबर को दोपहर 1.15 बजे तक रहेगी। इसमें किए गए कार्य के प्रभाव को तीन गुना बढ़ा देता है। इस योग में शुभ कार्यों को करना उत्तम माना जाता है। इसके साथ इस दिन अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति के लिए यम दीप दान करते हैं। लक्ष्मी-कुबेर पूजन के साथ यम दीप दान के लिए प्रदोषकाल में शाम 6.31 से रात 8.13 बजे तक 1 घंटा 42 मिनट का श्रेष्ठ समय है। प्रदोषकाल शाम 5.38 से रात 8.13 बजे तक रहेगा।
ज्योतिषियों का कहना है कि धनतेरस के दिन अगर आप सही मुहूर्त में पूजा अर्चना करते हैं तो कई तरह के अच्छे बदलाव आपको जीवन में देखने को मिल सकते हैं। आपकी आर्थिक संपन्नता के लिए इस दिन पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इसके साथ ही जो लोग आध्यात्मिक गतिविधियों में शामिल हैं, वो इस दिन मंत्रों का उच्चारण करके और ध्यान करके उन्नति प्राप्त कर सकते हैं। यह दिन साल में एक बार आता है, इसलिए इस दिन आपको पूजा अर्चना और खरीदारी करने के साथ ही आत्मज्ञान के लिए धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन भी करना चाहिए।
मान्यताएं
1 – इस दिन भगवान धन्वंतरि का पूजन विशेष लाभकारी माना गया है। भगवान धन्वंतरि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए वे स्वास्थ्य और दीर्घायु के देवता माने जाते हैं। इस दिन भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर, पुष्प अर्पित कर और “ॐ धन्वंतरये नमः“ मंत्र का जाप करना चाहिए। इस उपाय से व्यक्ति के जीवन में स्वास्थ्य और रोग-मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
2. माता लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए घर के मुख्य दरवाजे पर दीया जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि दीप जलाने से लक्ष्मी माता का प्रवेश होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है। साथ ही, इस दिन घर के हर कोने में दीप जलाएं, ताकि कोई भी स्थान अंधेरे में न रहे। यह उपाय सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण है।
3. इस दिन भगवान कुबेर की पूजा करना भी बहुत लाभकारी माना गया है। कुबेर धन के देवता हैं और उनकी पूजा से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। पूजा के दौरान भगवान कुबेर की प्रतिमा या चित्र के सामने घी का दीपक जलाएं और उन्हें अक्षत, फूल, और मिठाई अर्पित करें। पूजा के अंत में “ॐ कुबेराय नमः“ मंत्र का 108 बार जाप करें। इस उपाय से आर्थिक समृद्धि और स्थिरता प्राप्त होती है।
4. इस दिन सोना, चांदी, बर्तन या अन्य धातु की चीजें खरीदना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई धातु माता लक्ष्मी के घर आगमन का प्रतीक होती है और समृद्धि का वास होता है। अगर संभव हो तो चांदी का सिक्का या बर्तन खरीदें और इसे लक्ष्मी पूजन के दौरान शामिल करें, ताकि साल भर आपके घर में धन-धान्य की वृद्धि हो। सोना मां लक्ष्मी का रूप होता है. धनतेरस पर सोना खरीदने से घर में बरकत आती है, लक्ष्मी जी स्थाई रूप से घर में वास करती है. सोना चूंकि बहुत महंगा होता है ऐसे में धनतेरस पर जौ भी खरीद सकते हैं. जौ को भी संपन्नता का प्रतीक माना गया है और सोने के समान ही माना जाता है. आप इस दिन घर में जौ लेकर आएं. इसमें से थोड़ जौ को घर की क्यारी या गमले में बो दें और इसकी सेवा करें. बाकी के जौ को कहीं रख लें. जरूरत पड़ने पर पूजा आदि में इसका इस्तेमाल करें. इससे आपके घर में बहुत संपन्नता आएगी.
5. इस दिन झाड़ू खड़ा धनिया खरीदना भी शुभ माना जाता है। इसे घर में नए सिरे से शुभता लाने का प्रतीक माना गया है। झाड़ू को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है और इसे घर में रखने से दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। ध्यान रखें कि खरीदी हुई झाड़ू को धनतेरस के अगले दिन इस्तेमाल करना चाहिए। खड़ा धनिया माता लक्ष्मी और कुबेर देवता के चरणों में अर्पित करने से घर-परिवार और व्यापार में कभी धन की की नहीं होती है। इस दिन खरीदी गई झाड़ू से घर में झाड़ू लगाने से दरिद्रता दूर होती है। अपने घर नई झाड़ू लाएं, साथ ही दूसरों को दान भी करें। झाड़ू लाकर उस पर सफेद धागा बांधें। इससे लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और कृपा करती हैं।
6 – इस दिन पीली कौड़ियां घर जरुर लाएं। कहते है जीवन में अचानक धन वृद्धि के लिए इस दिन पीली कौड़ियां जरुर खरीदें। इनकी पूजा करें और तिजोरी में रख लें। कौड़ियां पीली नहीं हैं, तो उन्हें हल्दी में रंगकर इस्तेमाल करें।
7 – पीली वस्तु होने के कारण हल्दी की गांठ को इस दिन घर लाना शुभ है। हल्दी को घर लाकर स्वच्छ सफेद कपड़े में लपेटे और पूजा करें। इसके बाद पोटली को तिजोरी के पास रख दें। साल भर किसी चीज की कमी नहीं होगी। लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।
8 – वैसे तो धनतेरस का दिन धन के देवता कुबेर और भगवान धन्वंतरि को समर्पित है, लेकिन इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा करने का भी विधान है। लक्ष्मी जी की पूजा करें और खीर का भोग लगाएं। साथ ही मां को लाल वस्त्र समर्पित करें।
9- इस दिन दीप जलाने के लिए, ईशान कोण दिशा को शुभ माना जाता है. वास्तु शास्त्र के मुताबिक, यह दिशा देवी-देवताओं की मानी जाती है. इस दिशा में दीप जलाने से परिवार के सभी सदस्यों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है. पश्चिम दिशा को राहु की दिशा माना जाता है. इस दिशा में दीप जलाने से लोगों को अशुभ फल मिल सकते हैं और जीवन में कई तरह की बाधाओं का सामना करना पड़ता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर दिशा की ओर दीपक की लौ होना शुभ होता है. उत्तर दिशा में दीपक रखने से धन में वृद्धि होती है. वहीं, पश्चिम दिशा की ओर दीपक की लौ का जलना बेहद अशुभ बताया गया है. इसलिए इस दिशा में दीपक का मुंह करके नहीं रखना चाहिए.
काशी में विराजमान है भगवान धन्वंतरि
काशी के बुलानाला में विराजमान है भगवान ध्न्वंतरि। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि का सार्वजनिक दर्शन होता है। यहां भगवान धन्वंतरि की अष्टधातु की मूर्ति है, जो लगभग 300 साल पुरानी है। कहते है धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि के दर्शन मात्र

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