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खो-खो प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। जीडी ग्लोबल स्कूल में सदन स्तरीय खो-खो प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। खो-खो प्रतियोगिता का प्रारंभ विद्यालय की निदेशिका स्वाति अग्रवाल, प्रबंधक गौरव अग्रवाल, कार्यकारी निदेशक श्रीश अग्रवाल, उपप्रधानाचार्या श्रीमती मधु पाठक तथा कोआर्डिनेटर सुमन यादव ने संयुक्त रूप से फीता काटकर किया। खो-खो प्रतियोगिता प्रथम सत्र बालक वर्ग में एवं द्वितीय सत्र बालिका वर्ग में हई। बालक वर्ग में फाइनल मैच में यूरेनस हाउस और वीनस हाउस ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। जिसमें प्रथम स्थान यूरेनस हाउस, द्वितीय स्थान वीनस हाउस तथा मार्स हाउस तृतीय स्थान प्राप्त कर अपनी सदन पताका को प्रसारित किया। बालिका वर्ग में प्रथम मैच नेप्च्यून हाउस और यूरेनस हाउस के मध्य हुआ।
बालिका वर्ग में यूरेनस और वीनस हाउस ने फाइनल में पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। बालिका वर्ग में प्रथम स्थान यूरेनस हाउस, द्वितीय स्थान नेप्चून तथा तृतीय स्थान वीनस हाउस ने प्राप्त कर विजय का खिताब हासिल किया। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की निदेशिका श्रीमती स्वाति अग्रवाल ने विजयी प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा कि खो-खो का उद्देश्य अपने प्रतिद्वंद्वी को टैग करना और अंक अर्जित करना होता है। यह एक अनूठा स्वदेशी खेल है, जो युवाओं में ओज और स्वस्थ संघर्षशील जोश भरने वाला है।
यह खेल पीछा करने वाले और प्रतिरक्षक, दोनों में अत्यधिक तंदुरुस्ती, कौशल, गति और ऊर्जा की माँग करता है। विद्यालय के प्रबंधक गौरव अग्रवाल ने कहा कि खो-खो जैसे खेल खेलने से आपका शरीर स्वस्थ, मजबूत, प्रेरित, उत्साही और युवा रहता है, जिससे बेहतर समन्वय और लचीलापन आता है। यह आपको अपने साथियों के साथ एक इकाई के रूप में काम करने के लिए प्रेरित करके आपकी टीमवर्क क्षमताओं और अनुशासन को और विकसित करता है।
विद्यालय के कार्यकारी निदेशक श्रीश अग्रवाल ने इस खेल की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खो-खो मैदानी खेलों के सबसे प्राचीनतम रूपों में से एक है जिसका उद्भव प्रागैतिहासिक भारत में माना जा सकता है। मुख्य रूप से आत्मरक्षा, आक्रमण व प्रत्याक्रमण के कौशल को विकसित करने के लिए इसकी खोज हुई थी। खो-खो का जन्मस्थान पुणे कहा जाता है। विद्यालय की उपप्रधानाचार्या मधु पाठक ने बताया कि खो-खो खेल हमें यह सिखाता है कि हार और जीत से ज़्यादा ज़रूरी है एकजुटता और खेल भावना बराबर बनी रहनी चाहिए।