दीपक कुमार
मुगलसराय, चन्दौली। जहां सूर्योपासना महापर्व पर नहाए खाए से सूर्यदेव की सवारी घोड़ों की पूजा की जाती है, यह घोड़े पूरे नगर में घूमते हैं और छठ पर व्रती महिलाओं के घर जाते हैं। छठ के महापर्व के दौरान 7 घोड़ों को नगर भ्रमण कराने की शुरुआत सन् 2006 में हुई थी। बताते चलें कि मानसरोवर तालाब स्थित सूर्य मंदिर के पास सूर्य देव की सवारी घोड़ों की पूजा की जाती है।
यह घोड़े पूरे नगर में भ्रमण करते हैं और छठ व्रती महिलाओं के घरों तक जाते हैं जहां व्रती महिलाएं इन घोड़ों की आरती उतारती हैं। साथ ही चना और गुड़ खिलाकर आशीर्वाद मांगती हैं। मान्यता है कि डाला छठ के दौरान नगर भ्रमण पर निकले इन घोड़ों के पांव जहां भी पड़ते हैं, वह स्थान पवित्र हो जाता है।
दीनदयाल नगर में मानसरोवर तालाब छठ पूजा समिति के अध्यक्ष कृष्णा गुप्ता ने बताया कि डाला छठ पूजा में सूर्यदेव की सवारी 7 घोड़े छोड़े जाते हैं। वे नगर भ्रमण करते हैं और गलियों में घूमते हैं।वहीं प्रहरी के रूप में यह घोड़े नगर भ्रमण करते हैं जिसे देखकर व्रती लोग उत्साहित होते हैं।
दीवाली के ठीक 6 दिन बाद मनाए जाने वाले छठ पर्व का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से की गई इस पूजा से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।
इस व्रत को करने से लोग धन-धान्य, संतान सुख तथा सुख-समृद्धि से परिपूर्ण होते हैं। साथ ही लोगों का यह भी मानना है कि भगवान सूर्य की सवारी घोड़े की पूजा करने से उनका व्रत सफल होता है और घर में सुख समृद्धि आती है। इस उद्देश्य से छठ के महापर्व के दौरान 7 घोड़ों को नगर भ्रमण कराने की शुरुआत सन 2006 में हुई थी। उसके बाद से हर साल छठ पूजा के दौरान इन घोड़ों को सजाकर नगर भ्रमण कराया जाता है।