मुसैब अख्तर
कर्नलगंज, गोण्डा। स्थानीय तहसील व कोतवाली क्षेत्र के पूरे अजब गांव में हरे-भरे वृक्षों की अंधाधुंध कटाई से पर्यावरण पर खतरा मंडराने लगा है। हाल ही में ग्राम प्रधान गंगाबख्श यादव के घर के पीछे स्थित एक विशाल गूलर के वृक्ष को काटा गया है।
इस मामले में ग्राम प्रधान ने स्वयं इस पेड़ को कटवाने की बात स्वीकार की है लेकिन क्षेत्र में इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। वर्तमान में पूरे अजब गांव में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि वन विभाग और तहसील प्रशासन इस अवैध वृक्ष कटान पर मौन क्यों हैं? स्थानीय लोगों का आरोप है कि अधिकारियों की निष्क्रियता की वजह से यह साफ नजर आ रहा है कि कहीं न कहीं इस कटान में उनकी भी मिलीभगत है। लोगों का कहना है कि प्रशासन की ऐसी चुप्पी ने क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटान को बढ़ावा दिया है जो पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदायक है।
इस मामले को लेकर जब वन विभाग के दरोगा अशोक पाण्डेय से बात की गयी तो उन्होंने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया कि उन्होंने फारेस्ट गार्ड को भेज दिया है। वहीं जब फारेस्ट गार्ड से संपर्क किया गया तो उसने यह तर्क दिया कि यह पेड़ निजी कार्य के लिए काटा गया है लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस पेड़ को बेंचने के लिए काटा गया है और यह कटान परिवहन के दौरान स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इस तरह की घटनाओं से ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। क्षेत्रीय लोगों ने वन विभाग और तहसील प्रशासन से इस मामले पर ठोस कार्रवाई की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते कदम नहीं उठाया तो क्षेत्र में वन संपदा और पर्यावरण दोनों को गंभीर क्षति पहुंच सकती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से आग्रह किया है कि वह इस प्रकार के अवैध कटान पर अंकुश लगाए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। बता दें कि क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहे वृक्ष कटान के मामलों ने न केवल पर्यावरण को खतरे में डाला है, बल्कि प्रशासनिक तंत्र की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। ऐसे में आवश्यक है कि वन विभाग और संबंधित अधिकारी इस दिशा में ठोस कदम उठाएं, ताकि भविष्य में हरे-भरे वृक्षों की अवैध कटाई पर अंकुश लगाया जा सके और पर्यावरण संरक्षण के प्रति समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया जा सके।