देवी प्रसाद शर्मा
आजमगढ़। छठ पर्व का सामान बेचने वाले भी मानते हैं कि महंगाई बढ़ी है। कड़ी मेहनत करने के बावजूद भी दो वक्त का भोजन ठीक से नसीब नहीं हो पा रहा है। फराश टोला मोहल्ले में बांस का सामान बनाने व बेचने वाले महेश बताते हैं कि पहले एक बांस पचास रुपये तक मिल जाता था लेकिन अब वही बांस सवा सौ से भी ऊपर में मिल रहा है, वह भी मुश्किल से। आधा दिन तो बांस खोजने व उसे लाने में लग जाता है। उसके बाद सामान तैयार किया जाता है। दिन भर में बमुश्किल 3 या 4 सूप तैयार हो पाता है। अब तो इतने महंगे दाम पर सूप व दौरा बेचने के बाद भी कोई लाभ नहीं हो पा रहा है लेकिन पुश्तैनी धंधे से भागकर कोई कहां जायेगा? कुल मिलाकर पूजा के सामान पर भी महंगाई की मार साफ दिख रही है।
कभी न दिखने वाले फल भी बाजार में छठ पूजा को देखते हुए कभी न दिखने वाले फल भी बाजार में दिखने लगे हैं। चकोतरा, नारियल, अनानास, केला, सेब, अनार, मुसम्मी, संतरा, नाशपती, पपीता, चीकू, पनीफल, सरीफा, मूंगफली, गन्ना, सुपारी, गंजी, आंवला, अमरस, करौना आदि फलों से दुकान पट गये थे, उसकी खरीददारी भी की जा रही है। इसके अलावा पूजा के लिये कच्ची हल्दी, अंगूर, आम, सिंघाड़ा, बण्डा, सुथनी, साठी का चावल, चूड़ा, कदम, बेर आदि की बिक्री हो रही थी लेकिन महंगाई की मार से कोई वंचित नहीं था। दूसरी यह सोचने वाली बात यह थी कि समय से अगर सामान को नहीं खरीदा गया तो माल भी नहीं मिलेगा लेकिन लोगों के चेहरे पढ़ने से यह लग था कि समान जल्दी खरीदिए। दाम तो घटते बढ़ते ही रहते हैं। बहरहाल छठ पर्व पर महंगाई को दरकिनार कर लोगों ने खूब खरीदारी की।