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श्रद्धालुओं ने डूबते सूर्य को दिया अर्घ्य
अतुल राय
जलालपुर, जौनपुर। स्थानीय विकास खंड अंतर्गत त्रिलोचन महादेव मंदिर के सरोवर पर छठ पूजा की धूम रही। वहीं प्रबंधक मुरलीधर गिरि त्रिलोचन महादेव मंदिर के सानिध्य में छठ पूजा का कार्यक्रम कुशलतापूर्वक संपन्न हुआ। वहीं जलालपुर के थाना प्रभारी घनानंद त्रिपाठी की देख—रेख में सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से मुस्तैद दिखाई दिया। पुलिस किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो, उसके लिए सुरक्षा व्यवस्था चप्पे-चप्पे पर तैनात की गई है।
मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति को हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है लेकिन मुख्य रूप से छठ व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना से रखती हैं। वहीं ये व्रत संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए भी खास माना जाता है। देवी की आज्ञा मानकर राजा प्रियंवद ने कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को देवी षष्ठी का विधि विधान पूजन किया जिसके फलस्वरूप राजा की पत्नी फिर से गर्भवती हुई और उन्हें सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। ऐसा माना जाता है तभी से छठ पर्व मनाया जाने लगा।
ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत भगवान राम से हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान राम अयोध्या लौटे तो उन्होंने और उनकी पत्नी सीता ने सूर्य देव के सम्मान में व्रत रखा और इसे डूबते सूरज के साथ ही तोड़ा। यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो बाद में छठ पूजा में विकसित हुआ।
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छठ माता किसकी पत्नी थीं?
ऐसा इसलिए है, क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार षष्ठी देवी को लोकभाषा में छठ माता कहा जाता है जो ऋषि कश्यप तथा अदिति की मानस पुत्री हैं। इन्हें देवसेना के नाम से भी जाना जाता है। मां देवसेना भगवान सूर्य की बहन तथा भगवान कार्तिकेय की पत्नी हैं। छठी मैया को हिंदू धर्म में शक्ति और सृष्टि की देवी माना जाता है। मान्यता है कि वे सूर्य देवता की बहन हैं जो संतान, स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। छठ पूजा एक पर्व नहीं, बल्कि महापर्व है जो उत्तर प्रदेश और बिहार के पूर्वांचल क्षेत्र धूमधाम से मनाया जाता है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाये जाने वाले इस हिंदू पर्व में भगवान सूर्य और छठी मैया की विधिपूर्वक पूजा होती है लेकिन अब सवाल यह उठता है कि छठ पर्व की शुरुआत कैसे हुई?
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बिहार में छठ पूजा क्यों मनाया जाता है?
छठ पूजा का पर्व प्राचीन काल से ही मनाया जाता आ रहा है। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से व्यक्ति को हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहती है लेकिन मुख्य रूप से छठ व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना से रखती हैं। वहीं ये व्रत संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं के लिए भी खास माना जाता है। इस पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की अराधना की जाती है। यह एक मात्र ऐसा व्रत है जिसमें चढ़ते सूरज की जगह डूबते सूरज की पूजा होती है। ये पर्व मुख्य रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड में मनाया जाता है।