रामलीला में श्रीराम-सीता विवाह का हुआ मंचन

  • धूमधाम से निकाली गई राम बारात

पंकज कुमार
रायबरेली। खीरों ब्लाक क्षेत्र की श्री दीपमालिके रामलीला कमेटी पाहो द्वारा आयोजित 10 दिवसीय रामलीला के चौथे दिन भगवान राम तथा उनके तीनों भाईयों की भव्य बारात निकाली गई और परशुराम-लक्ष्मण संवाद का उमंचन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सतांव ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि व प्रमुख समाजसेवी उमेश प्रताप सिंह ने कहा कि रामलीला का मंच हमें मर्यादा में रहना माता-पिता की सेवा करना सिखाता है जिस तरह भगवान राम ने मर्यादा की स्थापना करने के लिए राज्यों को छोड़ पिता के कहने पर 14 वर्ष बनवास में व्यतीत किए। उसी तरह हमें भी भगवान राम के जीवन से प्रेरणा लेते हुए मर्यादा में रहने माता-पिता की सेवा कर अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए।

उन्होंने कहा कि रामलीला मंचन का उद्देश्य आज की युवा पीढ़ी को अपने धार्मिक ग्रंथों की जानकारी देना है। सनातन धर्म में रामलीला का बड़ा ही महत्व है। हमें राम के चरित्र से सीख लेनी चाहिए। रामलीला में राम बारात निकाली गई। बारात राजू डीजे के दरवाजे से घोड़ों और रथ के साथ रवाना हुई। बारात में सजाए रथ में भगवान श्रीराम के अनुज भरत और शत्रुघ्न विराजमान हुए। बाद में भगवान राम-सीता विवाह की लीला का मंचन हुआ। भगवान राम के साथ भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का भी विवाह वैदिक मंत्रोचार के बीच संपन्न कराया गया।
भगवान राम द्वारा धनुष का खंडन करने के पश्चात सीता के गले में जयमाल डाली गई। उसके बाद राम बारात पूरे गांव में धूमधाम से निकाली गई। महिलाओं ने घरों से निकलकर भगवान के स्वरूपों की आरती उतारी और प्रसाद वितरित किया। राम बारात का भव्य स्वागत अशोक शर्मा के दरवाजे पर अश्वनी शर्मा और राजेश निर्मल ने किया यहां सभी बारातियों के लिए नाश्ते का भी इंतजाम किया गया। विवाह की सभी रस्में पूरी होने के बाद विदाई का अवसर आया। जनक द्वारा बेटी की विदाई के समय गाया गया गीत तेरे करके हाथ पीले मैंने गंगा नहा लिया, बेटी जिस दिन से तुझे डोली में बैठा दिया, सुनकर लोगों की आंखें भर आई।
महारानी सुनैयना ने मार्मिक तरीके से कहा- हृदय पाषाण अब बन जा विदाई जानकी की कर, न टल सकता नियम जग का विदाई जानकी की कर। इससे पूर्व लक्ष्मण परशुराम संवाद हुआ। जनक की भूमिका दीपक तिवारी ने, राम की भूमिका लालू पाल ने, लक्ष्मण की शिवम त्रिवेदी, विश्वामित्र की मुन्नूलाल सविता और सुनैयना की भूमिका संदीप भारती ने निभाई। रूप सज्जा का कार्य कौशलेंद्र सिंह, विपिन विश्वकर्मा और देवेंद्र सिंह ने किया। व्यवस्थापक के रूप में राजू डीजे और शिवम जायसवाल की भूमिका सराहनीय रही।

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