भक्त प्रहलाद की कथा सुनकर भाव—विभोर हुये श्रोतागण

संदीप सिंह
प्रतापगढ़। जनपद के बाबागंज क्षेत्र के कोटा भवानीगंज में यजमान त्रिभुवन नाथ मिश्र के यहाँ चल रही भागवत कथा के चौथे दिन कथा वाचक आचार्य डॉ शिवशंकर तिवारी ने भक्त प्रह्लाद की कथा पर प्रकाश डालते हुये कहा कि भगवान की प्राप्ति भक्ति से सहज होती है। भक्त प्रह्लाद की कथा का व्याख्यान करते हुए कहा कि उसके अंदर बचपन से ही भक्ति का अंकुर मौजूद था। बालकाल में जब पिता हिरणाकश्यप ने गुरुकुल में शिक्षा लेने भेजा तो भगवान हरि की भक्ति शुरू कर दी। जब पिता को पता चला कि उसका पुत्र भगवान की भक्ति करने लगा है तो हिरण्याकश्यप ने उसको बहुत सारे कष्ट दिए।
अग्नि में जलाया, पहाड़ से गिराया, उबलते हुए तेल में डाला और मारने का बहुत प्रयास किया। उसकी बहन होलिका प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठ गई। होलिका तो स्वयं जलकर भस्म हो गई लेकिन प्रहलाद हंसते हुए अग्नि से बाहर आ गये।
हर बार भगवान प्रहलाद को बचाते रहे। एक दिन हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद से कहा कि तुम्हारे भगवान कहां हैं। प्रहलाद ने जवाब दिया कि कण-कण में हैं और इस खंभे में भी हैं। इतना सुनते ही हिरण्यकश्यप ने तलवार निकालकर खंभे पर वार कर दिया। तब नरसिंह के रूप में प्रकट होकर भगवान ने हिरण्यकश्यप का वध कर दिया। कथा सुनकर श्रद्धालु मंत्र—मुग्ध हो गये। इस अवसर पर महेन्द्र नाथ मिश्र, कमलेश नाथ मिश्र, प्रेमनाथ मिश्र, जयकिशन नाथ, धर्मेंद्र नाथ मिश्र समेत तमाम श्रोतागण मौजूद रहे।

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