गाय की पूजा करने से सभी देवी-देवता होते हैं प्रसन्न: आचार्य

सन्दीप सिंह
प्रतापगढ़। श्री राम लला गुरुकुल वैदिक पाठशाला के आचार्य सदाशिव तिवारी ने बताया कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी का पर्व मनाया जाता है।इस दिन गौ पूजन करने का विशेष महत्व है। गाय-बछड़े दोनों को सजाया जाता है, अंगों में मेहंदी, रोली हल्दी आदि के थापे लगाए जाते हैं। धूप, दीप, पुष्प, अक्षत, रोली, गुड़, वस्त्र और भोग व जल से गौ माता की पूजा की जाती है और आरती उतारी जाती है साथ ही सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन से भगवान श्रीकृष्ण और बलराम ने गौ चारण की लीला शुरू की थी तब से गोपाष्टमी पर्व मनाने की परम्परा है। सनातन धर्म में गायों की पूजा का विशेष महत्व है, गाय को माता कहा जाता है। भविष्य पुराण, स्कंद पुराण समेत अन्य धार्मिक ग्रंथों में गाय के अंग-प्रत्यंग में सभी देवी-देवताओं के स्थान का जिक्र किया गया है।
गाय पूजन से सभी देवी-देवता की पूजा मानी जाती हैं तथा गौ के पूजन से सभी देवी देवता प्रसन्न होते हैं और इससे सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है। जो लोग गौ माता को रसोई की पहली रोटी प्रतिदिन खिलाते हैं उनके घर से कभी बरकत खत्म नहीं होती है।
बिना गौ माता के गोबर, मूत्र, दूध, दही घी के कोई भी संस्कार देव कार्य पितृ कार्य सम्पन्न नहीं होता है। गौ माता जहां रहती हैं उस जगह का वास्तु दोष भी अपने आप ही खत्म हो जाता है। माता की अराधना करने से जीवन में नवग्रहों के दोष दूर हो जाते है। और धन संकट की समस्या भी दूर हो जाती है। सनातन धर्म में गौ दान की भी बहुत महिमा बताई गई है।

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