सूरज जायसवाल
जौनपुर। पुत्र प्राप्ति, समृद्धि एवं मंगलकामना के पर्व छठ पर गुरुवार की शाम आदि गंगा गोमती के हनुमान घाट सहित विभिन्न घाटों पर डूबते सूर्य देव को अर्घ्य दिया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में तालाब व जलाशयों में भी सूर्यदेव को अर्घ्य दिया गया। दोपहर से ही छठव्रतियों एवं दर्शनार्थियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। बड़ी संख्या में छठ व्रती अपने पूरे परिवार एवं गाजे-बाजे के साथ घाटों पर पहुंचकर शाम को पूरे विधि-विधान से सूर्य देव की आराधना की गई।
छठ व्रतियों ने डूबते सूर्य एवं छठ माता की आराधना की। इस दौरान आतिशबाजियां और गाजे-बाजे से माहौल रंगीन रहा। घाट में भीड़ कुछ ज्यादा ही दिखी। प्रसाद की वस्तुओं से भरे बांस से बने सूप और टोकरियों को घाट पर ले जाया जाता है जहां सूर्यदेव और छठी मैय्या को संध्या अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन भक्त न कुछ खाते हैं और न ही जल पीते हैं।
निर्जला व्रत छठ के चौथे या अंतिम दिन के सूर्योदय तक जारी रहता है। जब सूर्य भगवान और छठी मैय्या को उषा अर्घ्य दिया जाता है। छठ के अंतिम दिन अर्घ्य के बाद बांस की टोकरियों से प्रसाद पहले व्रतियों द्वारा खाया जाता है और फिर परिवार के सभी सदस्यों और व्रतियों के साथ वितरित किया जाता है।
छठ पूजा के 4 दिवसीय त्योहार के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसे संध्या अर्घ्य या पहला अर्घ्य के रूप में जाना जाता है। छठ प्रसाद को तैयार करने के लिए एक खास तैयारी की जाती है जो त्योहार के तीसरे दिन से शुरू होने वाले त्योहार में बहुत महत्व रखता है। व्रती और उनके परिवार के सदस्य दिन में जल्दी स्नान करते हैं और प्रसाद रखने के लिए बांस के नए सूप और टोकरियां खरीदते हैं।
चावल, गन्ना, ठेकुआ, पकवान, ताजे फल, सूखे मेवे, पेड़ा, मिठाई, गेहूं, गुड़, मेवा, नारियल, घी, मखाना, नींबू, सेब, संतरा, इलायची, हरी अदरक और सूप में तरह-तरह के सात्विक खाद्य पदार्थ रखे जाते हैं।
जनसैलाब को देखकर यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता था कि अब अपने शहर में छठ मनाना ज्यादा पसंद करने लगे हैं। ज्ञात हो कि गुरुवार को तड़के भी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने छठव्रती तड़के ही घाट पहुंचने लगेंगे। इसके बाद शुक्रवार को फिर घाटों में लोगों की भीड़ लगेगी।
इस दौरान उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद 36 घंटे का कठिन व्रत टूटेगा। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक पुलिस फोर्स के साथ घाट पर सुरक्षा के ध्यान दिए श्री दुर्गा पूजा महासमिति के पूर्व परम्पराओं के अनुसार इस वर्ष भी छठ पर नव दुर्गा शिव मंदिर तक सेवा प्रसाद व पूजा का समान वितरण किया गया।