आप कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को सौंपा

रविन्द्र कुमार
उरई, जालौन। भाजपा सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों के विरोध में आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष विनय चौरसिया एडवोकेट के नेतृत्व में महेन्द्र प्रजापति, प्रवीण रायकवार, रामानंद, ओम प्रकाश, अशोक कुमार, लोकेंद्र सिंह, धीरेन्द्र चौधरी जिला महासचिव, आशीष भाटिया, प्रखर बाजपेयी सहित आदि ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन अतिरिक्त मजिस्ट्रेट को भेंट करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों को लेकर हाल ही में मीडिया में आई खबरों के अनुसार 27,000 सरकारी स्कूलों को बंद करने की योजना बनाई गई है।
यह प्रदेश सरकार द्वारा 2020 तक बंद किए गए 26,000 स्कूलों के बाद अब एक नया कदम है। सरकारी स्कूलों को बंद करने का आदेश न केवल सरकार की नीतियों को संदिग्ध बनाता है कि यह सीधे तौर पर गरीव, दलित और पिछड़े वर्ग के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने खेल है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा जान—बूझकर सरकारी विद्यालयों के पास निजी विद्यालयों को मान्यता देने और उन्हें खोलने की नीति अपनाई जा रही है, ताकि सरकारी विद्यालयों में छात्र की संख्या कम हो सके और उन्हें बंद करने का रास्ता तैयार हो। यह एक सुनियोजित साजिया प्रतीत होती है जिसके अंतर्गत सरकारी विद्यालयों के पास निधी विद्यालयों की अनुमति ही आती है।
नियमानुसार 1 किलोमीटर की परिधि में ऐसे विद्यालयों को मान्यता नहीं दी जा सकती। आम आदमी पार्टी मांग करती है कि हर जनपद के हर ब्लॉक में ऐसे विद्यालयों को चिन्हित कर कार्यवाही की जाय जो सरकारी विद्यालयों के पास स्थित हैं और अवैध रूप से खोले गए हैं।
यह एक गंभीर मामला है, क्योंकि इन निजी विद्यालयों की अनुमति देने से सरकारी विद्यालयों में छात्रों की संख्या घटती है और उनका अस्तित्व संकट में आ जाता है। 27,000 सरकारी विद्यालयों को बंद करने का आदेश गलत है। इससे न केवल छात्रों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, बल्कि इससे कई योग्य शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे, जो पहले से राज्य सरकार की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास कर चुके है और उन्हें रोजगार का अवसर मिल चुका है।
इस कदम से सरकारी शिक्षा का ढांचा कमजोर होने के साथ सामाजिक असमानता और आर्थिक विषमताओं को बढ़ावा मिलेगा। आम आदमी पार्टी मांग करती है कि इस मामले को संज्ञान लेकर सरकार की शिक्षा विरोधी नीतियों पर तुरंत रोक लगाई जाए और सरकारी विद्यालयों को बनाने के लिए आया आये, ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके और शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित रहे।

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