मुकेश तिवारी
झांसी। गोपाष्टमी पर गौ माता का पूजन किया गया। गाय मां की पूजा कर विश्व शांति बनाए रखने की कामना की गई। कथा में माता गौ की महिमा विस्तार से बताई गई।
अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ के तत्वावधान में अन्दर सैंयर गेट स्थित इस्कॉन मंदिर के पावन प्रांगण में गोपाष्टमी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। भक्त पियूष रावत ने गौ माता की महिमा बताइ। भगवान ने स्वयं अपने मुख से बोला है। कलयुग में गौ माता की भक्ति ही बैकुंठ का मार्ग दिखा सकती है और बैकुंठ ले जा सकती है।
गौ माता यदि किसी का भाग्य यदि बदल सकती है तो गौ माता ही एक ऐसी शक्ति है जो सबके भाग बदल सकती है और आओ हम सब मिलकर गौ सेवा करें, गोपालन करें। हम सभी गौ माता से विश्व शांति का आशीर्वाद मांगा। इस्कॉन मंदिर में सुबह मंगला आरती हुई।
प्रातःकाल गाय माता का अभिषेक किया गया। नए परिधान धारण कराए गए, उनका श्रृंगार किया गया। गौ माता के अंग में मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे लगाए दीपदान किया। धूप-दीप, अक्षत, रोली, गुड़ आदि वस्त्र तथा जल से गाय का पूजन किया गया। धूप-दीप से आरती उतारी गई। प्रसाद भोग लगा परिक्रमा की गई।
गौकथा को कहते हुये मंदिर के ब्रह्मचारी दामोदर बंधू दास प्रभु ने बताया कि दीपावली के बाद आने वाली कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी पर्व के रुप में मनाया जाता है। इस दिन गौ, ग्वाल और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करने से विशेष लाभ मिलता है। गाय को माता का स्थान दिया गया है। अतः गाय को गौ माता (गौमाता) भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरु की थी।
कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन मां यशोदा ने भगवान कृष्ण को गौ चराने के लिए जंगल भेजा था। गाय की पूजा करने से लोगों के कष्ट खत्म हो जाते हैं। मनुष्य को धर्म लाभ प्राप्त होता है। मंदिर में विराजे भगवान राधा-कृष्ण जू की विशेष पूजा अर्चना गोपाष्टमी पर की गई। जल्द सुबह से शुरु हुआ कार्यक्रम देर रात्रि तक चलता रहा।
दामोदर बंधू दास प्रभु ने बताया कि 10 नवंबर को शाम 4 बजे से 10 बजे तक झाँसी के इतिहास में पहली बार भक्ति मेले में झाँसी के अलावा विदेशों से भी भक्त आ रहे हैं जो भक्तिमय मेले में कीर्तन मेला होगा जो इस्कॉन मंदिर में 4 बजे से लेकर और रात्रि 10 बजे तक होगा, देखने लायक योजना है। आप सभी लोगों से निवेदन है कि आप भी भक्ति में मेला में कुछ समय अपना आकार दान दें।
इस अवसर पर मंदिर के प्रमुख सहयोगी सुरेंद्र राय, महेश सर्राफ, पियूष रावत, राजीव अग्रवाल, अशोक सेठ, मनीष नीखरा, रमेश राय, अजय अग्रवाल, प्रिय गोविन्द दास, आरके टेलर, प्रभात शर्मा, मुकेश अग्रवाल, विनोद अवस्थी, अशोक गुप्ता, व्रज जन, कन्हाई ठाकुर, सुन्दर मोहन, विजय साहू, दिलीप साहू सहित तमाम लोग उपस्थित रहे। संचालन अजय अग्रवाल व आभार दामोदर बंधू दास ने व्यक्त किया।