Home JAUNPUR Jaunpur: भक्त की रक्षा के लिये भगवान लेते हैं अवतार: स्वामी वाचस्पति...
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सुइथाकला के जहुरुद्वीनपुर में चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा
डा. प्रदीप दूबे
सुइथाकला, जौनपुर। स्थानीय विकास खण्ड स्थित जहुरूद्दीनपुर गांव में शोभनाथ तिवारी के आवास पर चल रही सप्त दिवसीय श्रीमद्भागवत महापुराण कथा के तृतीय दिवस पर श्रीमद्भागवत कथा व्यास वैष्णव श्री नारायण स्वामी वाचस्पति जी महाराज ने उपस्थित श्रोताओं को अजामिल उद्धार और भक्त प्रहलाद की कथा का रसपान कराया।
अजामिल उद्धार की कथा श्रवण कराते हुए संत प्रवर ने कहा कि कलियुग में घोर पाप और वासनाओं को भी निर्मूल कर डालने वाला प्रायश्चित यही है कि केवल श्री भगवान के गुणों, लीलाओं और नामों का संकीर्तन किया जाय। भगवान श्री हरि के नाम संकीर्तन मात्र से उनके आश्रित भक्तों को किसी प्रकार का भय नहीं रहता। अजामिल सांसारिक वासना के कुचक्र में फंसने के बाद भी नारायण नाम के उच्चारण मात्र से ही मृत्यु पर विजय प्राप्त कर परम गति प्राप्त कर ली। मानस का दृष्टान्त है- कलियुग केवल नाम अधारा।
सुमिर सुमिर नर उतरहि पारा।। भक्त प्रहलाद की कथा के क्रम में कथा व्यास ने कहा कि भक्त की रक्षा के लिए नारायण को स्वयं पृथ्वी पर अवतार लेना पड़ता है। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परमभक्त था। जब प्रह्लाद को होलिका नहीं जला पाई तो उसे मारने के लिए हिरण्यकश्यप खुद सामने आ गया। यह स्थिति देखकर अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने नृसिंह भगवान का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया और अपने भक्त की रक्षा किया।
कथा के समापन पर उपस्थित भक्तजन आरती लेकर प्रसाद ग्रहण किये। श्रीमद्भागवत कथा संयोजक मण्डल में राजनाथ तिवारी, ओम प्रकाश तिवारी, जय प्रकाश तिवारी, राजकरन, हरिशंकर, विजयशंकर, ओंकार, उदय शंकर, राजेश कुमार, कमलेश, बृजेश, देवेश, राहुल, प्रियांशु, शिवांश, श्रेयांश, प्रायू आदि शामिल रहे।