भारत खोदो अभियान…

हम भारत के लोग इस शब्द पर क्या हिंदू क्या मुसलमान क्या सिख हर भारतीय गर्व करता है? बाबा साहेब डा. भीमराव अंबेडकर ने 26 नवंबर 1949 को एक युगांतरकारी स्पीच दिए थे। उसमें उन्होंने कहा था कि 26 जनवरी 1950 को हम विरोधाभासो के जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं।

उन्होंने कतई यह नहीं कहा कि हम महान बनने जा रहे हैं। हम अलौकिक बनने जा रहे हैं। राजनीतिक जीवन में हमारे पास सामानता तो होगी लेकिन सामाजिक आर्थिक जीवन में असमानता होगी एक व्यक्ति एक वोट का सिद्धांत लागू रहेगा। एक तरफ राजनीतिक तौर पर समानता का डंका पीटेंगे और दूसरी तरफ समाज में असमानता का पहाड़ खड़ा होता जाएगा। 1991 का सुप्रीम कोर्ट का एक डिसीजन है।
15 अगस्त 1947 राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद को छोड़कर भारत में सभी पूजा स्थल की यथास्थिति कायम रहेगी लेकिन पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने 1991 डिसीजन में कोई परिवर्तन तो नहीं किया लेकिन प्लेसेस ऑफ़ वरशिप एक्ट (पूजा स्थल अधिनियम) के तहत यह कहा कि आप पूजास्थल का सर्वे कर सकते हैं। इस डिशीजन का परिणाम यह हुआ कि संभल और अजमेर शरीफ के घटना के बाद अब बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों की तरफ से यह आवाज उठने लगी है कि हिंदू मंदिर के नीचे बुद्ध के अवशेष है।
भारत में हर 500 मीटर 1000 मीटर और 1500 मीटर की दूरी पर मंदिर मस्जिद और कुछ नहीं तो स्थानीय देवी देवता है। इसी प्रकार हर धर्म के लोगों की तरफ से आवाज उठने लगी तो तो भारत खोदो अभियान की शुरुआत हो जाएगी। विश्व में अपनी स्थिति भी तो देख लीजिये। हम कहां खड़े हैं, यह नियम कितना देश विरोधी है। इसका आर्थिक व्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा कभी सोचा है।
2022 के एक सर्वे के अनुसार पूरे संसार में 3 करोड़ 54 लाख भारतीय विदेश में रहते हैं। 2023 के एक सर्वे के अनुसार 120 बिलियन। यू.एस.ए. डॉलर अपने देश भारत में भेजे 1 बिलियन साढ़े 8 हजार करोड़ रुपये के बराबर होता है। जब संविधान लागू हुआ तो उसके 3-4 दिन बाद ऑर्गेनाइजर में एक लेख द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरफ से यह कहा गया कि हमारे पास पहले से ही मनुस्मृति का संविधान है। यह संविधान मनुस्मृति से अलग है, इसलिए बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का संविधान हमारे लिए बेकार है। इन लोगों ने कभी तिरंगे का सम्मान नहीं किया।
अगर मनुस्मृति बहुत अच्छा है तो मनुस्मृति का नियम कितने देश में लागू है। मनुस्मृति को मानने वाले कितने राष्ट्र हैं। भारतीय संविधान में हर देशों से कुछ ना कुछ (जर्मनी से आपातकाल आयरलैंड से नीति निर्देशक तत्व दक्षिणी अफ्रीका से संविधान संशोधन) लिया गया है और मनुस्मृति से…।
2022 के एक सर्वे के अनुसार 240 करोड़ 32 प्रतिशत लोग क्रिश्चियन धर्म को मानने वाले हैं।
दूसरे नंबर पर 23 प्रतिशत यानि 190 करोड़ लोग इस्लाम धर्म को मानने वाले हैं और हिंदू धर्म को मानने वाले (हिंदुस्तान नेपाल और मॉरीशस) 118-19 करोड़ 15 प्रतिशत लोग है जबकि नेपाल पहले हिंदू राष्ट्र था अब वह एक सेकुलर कंट्री है। कहने का मतलब कि पूरे संसार में कोई भी राष्ट्र हिंदू राष्ट्र नहीं है। इसमें भी कुछ लोग नास्तिक है। इसके अलावा एनआरसी लागू होने के दौरान 13 करोड़ जनजातियों में एक आवाज उठी कि इस बार की जनगणना में हम लोग अपना धर्म सरना धर्म लिखेंगे।
किसान नेता डॉ सुनीलम एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहते हैं कि जाटों में भी कुछ जाटों का सिख धर्म की तरफ झुकाव हो रहा है। चौथे नंबर पर बौद्ध धर्म (भूटान कंबोडिया म्यांमार श्रीलंका) को मानने वाले 7 प्रतिशत 50 करोड़ लोग बौद्ध धर्म को मानने वाले हैं। अब पूरे विश्व में किसका कौन सा राष्ट्रीय धर्म है, यह भी देख लीजिए ईसाई धर्म को मानने वाले 15 राष्ट्र है।
दूसरे नंबर पर 27 राष्ट्र ऐसे हैं जिनका राष्ट्रीय धर्म इस्लाम है और बौद्ध धर्म को मानने वाले 4 देश भुगतान, कंबोडिया, म्यांमार एवं श्रीलंका हैं।
पूरी दुनिया में किस देश में किस धर्म को मानने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है 157 देश ऐसे हैं जहां ईसाई धर्म की बहुलता है इस्लाम धर्म की बहुलता वाले देश 49 है और बौद्ध धर्म के बहुलता वाले देश 7 और हिंदू धर्म की मेजोरिटी वाले देश (नेपाल हिंदुस्तान मॉरीशस) तीन देश है।
पूरी दुनिया में जो हिंदू है, उसका 94 प्रतिशत केवल भारत में रहते हैं और भारत की जनसंख्या के अनुसार 80 प्रतिशत हिंदू भारत में रहते हैं। नेपाल की जनसंख्या के अनुसार नेपाल में हिंदुओं की संख्या 91 प्रतिशत है जो हिंदू धर्म को मानते हैं। तीसरे नंबर पर बांग्लादेश, चौथे नंबर पर पाकिस्तान, पांचवें नंबर पर इंडोनेशिया, छठें नंबर पर यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका सातवां नंबर पर श्रीलंका, आठवें नंबर पर मलेशिया, नवां नंबर पर यूनाइटेड किंगडम, 10 नंबर पर कनाडा है।
हम हिंदू लोग कहां हैं? जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आती है तो हिंदू खतरे हो जाता है हर मस्जिद के नीचे मंदिर खोजने लगते हैं अपने यहां कावड़ यात्रा के दौरान नियम लगते हैं कि हर दुकानदार अपनी दुकान के आगे नेम प्लेट लगावे। इस नियम का आशय था कि कोई हिंदू मुसलमान की दुकान से सामान न खरीदें। क्या दूसरे देशों का धर्म खतरे में नहीं पड़ सकता? क्या दूसरे देश वाले अपने यहां नेम प्लेट नहीं लगवा सकत?
सल्तनत काल और मुगल काल में हिंदू और मुसलमान मे इतनी ज्यादा विरोध नहीं था जितना कि आज है। यह देन अंग्रेजों की है मुगल काल में दो राजाओं की लड़ाई थी न कि हिंदू—मुसलमान की बीजेपी और आरएसएस के लोग औरंगजेब को सबसे बड़ा खलनायक और शिवाजी महाराज को सबसे बड़ा (हिंदू सम्राट) हीरो मानते हैं। शिवाजी महाराज अफजल खान से बिना हथियार के मिलने जाने वाले थे। शिवाजी के एक मित्र ने सलाह दी कि आप बिना हथियार के अफजल खान से मिलने ना जायं। बल्कि एक (बग्नक) हथियार साथ में लेकर जाए जानते हैं।
उस साथी का क्या नाम था रुस्तम-ए-जमाल जब अफजल खान ने शिवाजी की जान लेने की कोशिश की तो शिवाजी ने बागनक हथियार से अफजल खान की हत्या कर दी। जब अफजल खान की हत्या हो गई तो उसका सेक्रेटरी सचिव शिवाजी को तलवार लेकर मारने दौड़ा तो शिवाजी महाराज ने उसके भी हत्या कर दी जानते हो। सेक्रेटरी का क्या नाम था? कृष्ण जी भास्कर कुलकर्णी क्या हिंदू, क्या मुसलमान, यह मैं आप पर छोड़ता हूं।
औरंगजेब और शिवाजी महाराज में दुश्मनी थी औरंगजेब की तरफ से शिवाजी महाराज से जो बातचीत करने आता था, उस व्यक्ति का नाम था। राजा जय सिंह हल्दी घाटी की लड़ाई में अकबर की तरफ से जो राजा लड़ रहा था, उसका नाम था राजा मानसिंह। राणा प्रताप की तरफ से हकीम खान सूर लड़ रहा था।
यह सब लड़ाइयां धर्म की लड़ाइयां नहीं थीं, बल्कि दो राजाओं की लड़ाइयां थीं। दोनों तरफ हिंदू और मुसलमान थे। अकबर महान के नवरत्नों में बीरबल और राजा टोटल मल दोनों हिंदू थे। राजा टोडरमल आज की भाषा में राजा टोडरमल अकबर का वित्त मंत्री था। औरंगजेब की मनसबदारों में सबसे ज्यादा हिंदू थे। ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जाएंगे अगर खोजना चाहेंगे तो….।
हरीलाल यादव
सिटी स्टेशन, जौनपुर
मो.नं. 9452215225

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