जौनपुर। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से जीव की व्यथा समाप्त हो जाती है। मानव जीवन के लिए कल्याणकारी है गीता भागवत रामायण जैसे ग्रंथ। सनातन धर्म ही मानव जीवन को जीने की कला सिखाती है।
मनुष्य को प्रतिदिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठना, नित्य क्रिया करना, सूर्योदय से पहले स्नान करना, सूर्योपासना करना, सुबह-शाम संध्या वंदना, पूजा पाठ, परायण करने से ही मनुष्य के जीवन में आयु, बल, बुद्धि, विद्या, शुख, समृद्धि व स्वास्थ्य सनातन प्रेमियों के जीवन में बना रहता है।
वर्तमान का मोह भविष्य का भाई भूतकाल का सुख समाप्त होता है। श्रीकृष्ण के महाराज का मतलब है चरणों की भक्ति। जीव और ब्रह्म का मिलन ही रस का तात्पर्य है जो अपनी इंद्रियों को भगवान में लगा दे, उसी को गोपी कहते हैं। चीर हरण का तात्पर्य माया के आवरण को हटाना है। श्रीकृष्ण के स्मरण से सभी दुख दूर हो जाते हैं। श्रीमद्भागवत कथा सुनने से जीव सांसारिक भवसागर से पार हो जाता है।
उक्त विचार कथा वाचक मदन मोहन मिश्र ने चवरी बेलवा निवासी दिनेश पाठक के घर पर आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण साप्ताहिक कथा में प्रवचन के दौरान कही। इस दौरान बताया गया कि कार्यक्रम का समापन व भंडारे प्रसाद वितरण का आयोजन 6 दिसम्बर शुक्रवार सायं किया जायेगा। इस अवसर पर कृपाशंकर पाठक, चिंतामणि पाठक, दयाशंकर पाठक सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।