उग्रसेन सिंह जखनिया, गाजीपुर। सिद्धपीठ श्री हथियाराम मठ के पवित्र प्रांगण में कृषि वैज्ञानिकों तथा धातूकिय अभियंत्रकिय बीएचयू वाराणसी के वैज्ञानिक प्रो. वकील सिंह तथा कृषि वैज्ञानिक प्रो. एसके सिह सहित अन्य वैज्ञानिकों ने एक साथ बुढ़िया माई के मंदिर में माथा टेका और आशीर्वाद प्राप्त किया।
बुढ़िया माई के यहां पूजन अर्चन करने के बाद प्रातः स्मरणीय सतत बंदनीय पूज्यपाद पीठाधिपति पूज्य गुरुदेव भवानी नंदन यति जी महाराज का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
पूज्य महाराज जी द्वारा प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. आरबी सिंह के विषय संक्षिप्त परिचय देते हुए यह बताया कि आरबी सिंह भारत सरकार में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं। इनके सिद्धपीठ के परंपरागत शिष्य होने के नाते सिद्धपीठ का गौरव बढ़ा है तथा पूज्य महाराज द्वारा आपकी कृतियों का संक्षिप्त परिचय देने का आग्रह किया गया।
इसमें हथियाराम सिद्धपीठ तथा आसीन पीठाधिपति को गौरव की प्राप्ति होती है तथा कृषि वैज्ञानिक डा. आरबी सिंह से कहा कि आप भारत को प्रमुख रूप से गेहूं की प्रजाति जो आपके द्वारा देश को समर्पित की गई है, सके विषय में उल्लेख कीजिए। डा. सिंह ने बताया कि मेरे द्वारा कई उत्कृष्ट गेहूं की प्रजाति भारतवासियों को समर्पित की गई है जिसमें से प्रमुख रूप से मालवीय 234 है।
इसी क्रम में प्रो. वकील सिंह द्वारा मेटल से संबंधित उत्कृष्ट पर प्रभाव डाला गया। प्रो. एसके सिंह द्वारा प्रमुख धान की किस्म तथा अपने द्वारा निकाली हुई सरसों की प्रजाति के संबंध में प्रमुखता से प्रकाश डाला धान की किस्म में मालवीय मलीना जो 110 से 115 दिन में पक्का तैयार हो जाती है तथा दूसरी सरसों की प्रजाति जो लगभग 10 वर्षों से कई स्टेट में अपने प्रभाव से किसानों अन्य प्रजापति की तुलना में को आज से दोगुना उपज दे रही है जिसकी मांग दिन दुना—रात चौगुनी बढ़ रही है। ऐसा पूज्य महाराज जी के सामने वैज्ञानिकों ने बताया।
पूज्य महाराज द्वारा आये वैज्ञानिकों को अंगवस्त्र तथा प्रसाद देकर विदा करने के साथ विजयदशमी पर्व के उपलक्ष्य में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रण दिया। महाराज जी के आदेश को श्री सिंह ने सहज स्वीकार किया। मीडियाकर्मियों द्वारा पूछे जाने पर प्रमुख वैज्ञानिकों ने एक स्वर में यह बताया कि हम बुढ़िया माई के पवित्र प्रांगण में आकर तथा महाराज श्री की दर्शन मात्र से धन्य हो गये हैं।