Home JAUNPUR Jaunpur: श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन भगवान के 24 अवतारों का वर्णन...
चन्दन अग्रहरि
शाहगंज, जौनपुर। स्थानीय नगर के बुढ़वा बाबा मंदिर पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पद्मेश जी महाराज द्वारा शुकदेव जन्म, परीक्षित श्राप और अमर कथा का वर्णन करते हुए बताया कि “नारद जी के कहने पर पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा कि उनके गले में जो मुंडमाला है, वह किसकी है तो भोलेनाथ ने बताया वह मुंड किसी और के नहीं, बल्कि स्वयं पार्वती जी के हैं। हर जन्म में पार्वती जी विभिन्न रूपों में शिव की पत्नी के रूप में जब भी देह त्याग करती शंकर जी उनके मुंड को अपने गले में धारण कर लेते पार्वती ने हंसते हुए कहा कि हर जन्म में क्या मैं ही मरती रही, आप क्यों नहीं।
शंकर जी ने कहा कि हमने अमर कथा सुन रखी है। पार्वती जी ने कहा कि मुझे भी वह अमर कथा सुनाइए शंकर जी पार्वती जी को अमर कथा सुनाने लगे। शिव-पार्वती के अलावा सिर्फ एक तोते का अंडा था जो कथा के प्रभाव से फूट गया, उसमें से श्री सुखदेव जी का प्राकट्य हुआ।
कथा सुनते—सुनते पार्वती जी सो गईं। वह पूरी कथा श्री सुखदेव जी ने सुनी और अमर हो गये। शंकर जी सुखदेव जी के पीछे उन्हें मृत्युदंड देने के लिए दौड़े। सुखदेव जी भागते भागते व्यास जी के आश्रम में पहुंचे और उनकी पत्नी के मुंह से गर्भ में प्रविष्ट हो गए। 12 वर्ष बाद श्री सुखदेव जी गर्व से बाहर आए इस तरह श्री सुखदेव जी का जन्म हुआ।
कथा व्यास ने बताया कि भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि भागवत के 4 अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते है।
साथ ही भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है, क्योंकि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है। जीवन की अन्तिम बेला में दादा भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया। परीक्षित को श्राप कैसे लगा तथा भगवान श्री शुकदेव उन्हे मुक्ति प्रदान करने के लिये कैसे प्रगट हुये इत्यादि कथाओं का भावपूर्ण वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत तो दिव्य कल्पतरु है यह अर्थ, धर्म, काम के साथ भक्ति और मुक्ति प्रदान करके जीव को परम पद प्राप्त कराता है। श्रीमद्भागवत केवल पुस्तक नही साक्षात श्रीकृष्ण स्वरुप है। इसके एक एक अक्षर में श्रीकृष्ण समाये हुये है। कथा सुनना समस्त दान, व्रत, तीर्थ, पुण्यादि कर्मो से बढ़कर है। कथा सुनकर पण्डाल में उपस्थित श्रद्धालु भाव—विभोर हो गये। कथा के मध्य में मेरी लगी श्याम संग प्रीत और मां की ममता के महत्व का भजन सुनकर भक्त आत्मसात हो गये।
दूसरे दिन के मयजमान ओम प्रकाश जायसवाल पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष शाहगंज सह पत्नी माधुरी देवी के साथ ही अन्य जजमान ने पूजकर कर कथा का श्रवण किया। कथा में रत्नप्रिया पाठक, अर्पिता दुबे, सूर्य प्रताप चौबे, लक्ष्मी मोदनवाल, ओम मोदवाल, गौरी मोदनवाल, किशन कसेरा, अनन्या दुबे सहित कई गणमान्य अतिथियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। कथा में मुख्य रूप से आदि समस्त भक्तजनों की उपस्थिति रही।