दीपक कुमार
मुगलसराय, चन्दौली। स्थानीय शाहकुटी श्री काली मंदिर के समीप अन्नपूर्णा वाटिका प्रांगण में चल रहे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के तृतीय दिवस शुक्रवार को व्यास पीठ से श्रीमद्भागवत व श्री मानस मर्मज्ञ अखिलानन्द महाराज ने अपने वक्तव्य में जीव के पांच शुद्ध पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि महाराज परीक्षित के पांच शुद्ध थे जिसमे मातृशुद्धि, पितृ शुद्धि, वंश शुद्धि, अन्न शुद्धि, जल शुद्धि। जिनके माता पिता के संस्कार स्वरूप ही पुत्र में संस्कार आता है और उनके उपर ही भगवान की कृपा होती है। क्योंकि माता पिता ही पुत्र के प्रथम गुरू होते हैं। माता पिता द्वारा दिए गए प्रथम ज्ञान के फलस्वरूप ही पुत्र में संस्कार आता है जिससे उक्त बालक अथवा जीव का जीवन मर्यादित होता है।
इसलिए प्रत्येक माता पिता को यह ध्यान रखना चाहिए कि सबसे पहले हम अपने जीवन चरित्र को मर्यादित रखे ताकि वैसे ही पुत्र का जीवन भी मर्यादित हो सके। ईश्वर प्राप्ति के लिए अन्न जल का शुद्ध होना भी आवश्यक है क्योंकि कहा गया है कि जैसा खाए अन्न वैसा होए मन, मनुष्य जो धर्म सम्मत व शास्त्र सम्मत हो वही अन्न ग्रहण करना चाहिए। आज हम न जाने कैसे भोजन ग्रहण कर रहे हैं कि हमारी मनोवृत्ति विनष्ट हो रही है और इसके चलते हम भगवान से दूर होते जा रहे हैं। धर्म सम्राट महाराज परीक्षित के ये पांचो शुद्ध थे। जब परीक्षित को श्राप मिला कि सातवें दिन तक्षक के द्वारा डसां जाएगा उस समय के सभी संत महात्मा अपने अपने अनुसार महाराज का मार्ग प्रशस्त किए किंतु समुचित उत्तर न मिलने पर उन्होंने विचार किया कि जिन्होंने माता के गर्भ में नौ माह रक्षा की है उसी की शरण में जाना चाहिए।
तब भगवान श्री कृष्ण की कृपा से उनके जीवन मे सरू रूप में परम अवधूत शुकदेव जी का आगमन हुआ। कहने का आशय यह है कि ईश्वर को करुणा से ही जीवन सरू का आगमन होता है और सद् गुरू की कृपा से ईश्वरत्व की प्राप्ति होती है। मौके पर सैकड़ों श्रद्धालुओं द्वारा कथा श्रवण की गयी। मुख्य यजमान के रूप में यज्ञनारायण सिंह एवं पूनम सिंह रहे। इस अवसर पर संतोष शर्मा, उपेन्द्र सिंह, पीएन सिंह, कन्हैया जायसवाल, डा. एसएन त्रिवेदी, भैयालाल पाठक, शैलेन्द्र तिवारी, कृष्णकांत गुप्ता, संजय तिवारी, संजय अग्रवाल, दिनेश सिंह, बृजेश सिंह, संतोष पाठक, मनोज श्रीवास्तव, संतोष शर्मा, कन्हैया जायसवाल, बंटी सिंह, आलोक पाण्डेय, मिथलेश मिश्रा, अतुल दूबे, सुमित सिंह, विकास चौबे, बेचन पाण्डेय आदि ने ज्ञान यज्ञ व्यवस्था में सहयोग किया।