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सरेनी ब्लाक क्षेत्र के ग्राम पंचायत गहरौली में डीपीआरओ की जांच में कुछ ही घपलों की सुलझ पाई गुत्थी
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जांच से बचने को प्रधान ने काटा था बवाल, मौके से भागे थे अधिकारी
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अज्ञात के विरुद्ध ग्राम विकास अधिकारी ने दर्ज कराया था मुकदमा
अनुभव शुक्ला
रायबरेली। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रष्टाचार की जड़ें किस कदर मजबूत हैं। किस हद तक जाकर ग्राम प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी भ्रष्टाचार को अंजाम देते हैं।
उसके खुलासे से सरकारी सिस्टम पर सवाल उठना लाजिमी हो चुका है। यदि जिले की ग्राम पंचायतों की जांच कार्यालय में बैठे जिम्मेदार क्रमवार करें तो यह कहना मुश्किल नहीं है की करोड़ों रुपयों के घप्पले ग्राम प्रधान व प्रधानों की जुगलबंदी से निकलकर समक्ष आ जाएंगे।
हम बात कर रहे हैं जिले के सरेनी ब्लाक क्षेत्र स्थित गहरौली ग्राम पंचायत की जहां पर वर्षों से ग्रामीण भ्रष्टाचार की रट लगा रखे हैं। किंतु उन्हें क्या पता कि जो रक्षक हैं वह ही पर्दे के पीछे भक्षक का किरदार अदा कर जांच के नाम पर भ्रष्टाचार पर पर्दा डालते चले आ रहे हैं। विदित हो कि ग्रामीणों की शिकायत पर बीते दिनों जनपद के जिला पंचायत राज अधिकारी सौम्य शील सिंह गहरौली ग्राम पंचायत पहुंचे।
जहां कुछ ही बिंदु की जांच में घपला पकड़ में आते ही जांच प्रभावित करने के उद्देश्य से प्रधान प्रतिनिधि साथियों के साथ बवाल काटने लगा। डीपीआरओ सौम्य शील ध्रतराष्ट बन अपने कमाऊ पुत्र प्रधान की करतूतों को कुछ देर देखकर मौके से भाग निकले। किसी तरह अपनी नाक बचाने के लिए बवाल काटने वालों के नाम को जानने के बावजूद अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवा कर मामले से पल्ला झाड़ लिया था।
हालांकि फजीहत होने के बाद जिला पंचायत राज अधिकारी सौम्य शील ने अपनी जांच आख्या में सिर्फ मनरेगा के मजदूरी भुगतान में प्रधान द्वारा किए गए लाखों रुपयों के घपले कि पुष्टि कर अधूरी जांच का हवाला तो दिया ही साथ ही वित्तीय अनियमितता में गहरौली ग्राम प्रधान क्रेता सिंह व तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी को प्रथम दृष्टया दोषी ठहराया है। जिसकी सूचना जनपद के अधिकारियों के साथ पंचायती राज उपनिदेशक लखनऊ को भी पत्राचार के माध्यम से दिया है।
डीपीआरओ ने फजीहत से बचकर सिर्फ मनरेगा घपले को किया उजागर, अन्य पर डाला पर्दा
यदि देखा जाए तो जिले कि गहरौली ग्राम पंचायत में विकास कार्य के नाम पर लाखों रुपयों का घपला है। किंतु डीपीआरओ सौम्य शील ने सिर्फ मनरेगा घपले की जांच उजागर कर प्रधान के कारनामों पर पर्दा डाला है। जिला पंचायत राज अधिकारी ने जांच आख्या में नाक बचाने के लिए वर्ष 2020 में कुल 127869 रुपए मनरेगा में लगे मजदूरों की मजदूरी प्रधान द्वारा अपने व्यक्तिगत खाते में मंगवाये जाने का सनसनीखेज खुलासा किया है।
ग्रामीणों के आरोपों से स्पष्ट है कि इन रुपयों को प्रधान ने निकाल कर अपने व्यक्तिगत उपयोग में ले लिया 2020 में हुए इस घपले से स्पष्ट है कि 2024 तक में श्रमिकों कि मजदूरी में ही दस लाख से अधिक का घपला किया गया होगा। डीपीआरओ सौम्य शील सिंह ने जांच आख्या में लिखा की 06.03.2020 को 35672.00 का भुगतान शहीद स्मारक की बाउण्ड्रीवाल पर 20 दिन (दिनांक-01.02. 2020 से 20.02.2020) काम चला जिसमें 02 मिस्त्री एवं 06 लेबर का भुगतान क्रेता सिंह ग्राम प्रधान ने अपने व्यक्तिगत खाते में लिया जाना पाया गया।
दिनांक 07.02.2020 को 9860.00 का भुगतान मुन्नू के घर से गड़ई तक कराये गये कार्य के मजदूरों की मजदूरी का भुगतान क्रेता सिंह ग्राम प्रधान ने अपने व्यक्तिगत खाते में लिया जाना पाया गया। वहीं दिनांक 07.02.2020 को 4330.00 क्रेता सिंह ग्राम प्रधान ने अपने व्यक्तिगत खाते में मजदूरों की मजदूरी लिया जाना पाया गया।
दिनांक 21.01.2020 को 72800.00, व 16.10.2020, 5207.00 का भुगतान ग्राम प्रधान क्रेता सिंह द्वारा अपने खाते में मंगवाये जाने का जिक्र किया है। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन ऐसे भ्रष्टाचार में संलिप्त ग्राम प्रधान व वीडीओ पर किस प्रकार की कार्यवाही तय करता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। हालांकि ऐसे भ्रष्टाचारियों के खिलाफ तेजस टूडे हिंदी दैनिक अखबार की टीम ने पहले से ही मुहीम छेड़ रखी है।