पिंजड़े से पंछी एकदिन उडि जाएगा…

(भजन)
पिंजड़े से पंछी एकदिन उडि जाएगा,
माया के दीवानों तू तौ पछताएगा।
माल-खजाना यहीं छूटेगा तेरा,
हीरा न मेरा है, मोती न तेरा।
अच्छा जो किया है वही संग जाएगा,
माया के दीवानों तू तौ पछताएगा।
राजा हो, रंक हो या हो व्यापारी,
करो निष्काम, खेलो अपनी तू पारी।
माटी का खिलौना ये बिखर जाएगा,
माया के दीवानों तू तौ पछताएगा।
हरदम बुराई से खुद को बचाना,
खुशियों का फूल बन्दे जहां में खिलाना।
लिया नहीं ज्ञान, प्यासा रह जाएगा,
माया के दीवानों तू तौ पछताएगा।
औरों के दर्द को भी बाबू समझना,
दबे-कुचलों की आवाज बनना।
बुलबुला ये पानी का फुट जाएगा,
माया के दीवानों तू तौ पछताएगा।
गीतकार: रामकेश एम. यादव ‘सरस’ मुम्बई।

ADVT 2024 Gahna Kothi Jaunpur

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here