सनातन धर्म में तीन ग्रंथों का विशेष महत्व: अखिलानन्द

  • श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन भागवत चरित्र पर हुई चर्चा

दीपक कुमार
मुगलसराय, चन्दौली। स्थानीय शाह कुटी श्रीकाली जी मंदिर स्थित अन्नपूर्णा वाटिका प्रांगण में चल रहे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस व्यास पीठ से श्रीमद्भागवत व श्रीमानस मर्मज्ञ अखिलानन्द जी महाराज ने भगवान के सुंदर चरित्र का मार्मिक ढंग से वर्णन कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। महराज ने कहा कि पुष्टि पुरुषोत्तम के प्राकट्य से पहले तो मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के जीवन चरित्रों का श्रवण करना पड़ता है। क्योंकि श्रीमद्भागवत महापुराण मे भगवान श्री कृष्ण पूर्ण ब्रहम है। पूर्ण ब्रहम की प्राप्ति बिना राम चरित मानस के नहीं हो सकती है। मानस के एक एक पात्र का जीवन आदर्श जीवन है। हमारे मनीषियों ने कहा है कि राम जैसा कोई पुत्र नहीं हो सकता के दशरथ जैसा पिता, कौशल्या जैसी माता भरत जैसा भाई, सीता जैसी कोई पत्नी अथवा वशिष्ठ जैसा गुरू व रावण जैसा शत्रु नहीं हो सकता। इसलिए मानस के एक एक पात्र आदर्श है। सनातन धर्म मे तीन ग्रंथों का विशेष महत्व है। पहला रामायण, दूसरा श्रीमदभगवत गीता और तीसरा श्रीमद् भागवत् महापुराण। देखा जाय तो सभी वियोग के द्वारा ही ईश्वर को प्राप्त किए है। इसलिए जबतक हम अपने जीवन में मानस के पात्रों को नहीं उतारते तब तक योग की सिद्धि नहीं होती है। यदि वास्तव में हमे जीवन में सुख शांति और विश्राम चाहिए तो हमे प्रत्येक क्षण भगवान कृष्ण को प्रकट करना है। मौके पर काफी संख्या में भक्त जनों ने कथा का रसपान किया।

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