उत्सव में भगवान का प्रकट होना जरूरी: अखिलानन्द

  • श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन ईश्वर के प्राकट्य पर हुई चर्चा

दीपक कुमार
चन्दौली। स्थानीय शाह कुटी श्रीकाली माता मंदिर स्थित अन्नपूर्णा वाटिका प्रांगण में चल रहे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के पांचवें दिन रविवार को प्रातः 10 बजे से संस्कृति संजीवनी नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया जिसमें लगभग पांच सौ लोगों ने शुगर, ईसीजी, खून जांच सहित स्वास्थ्य जांच करा दवा वितरण किया गया। इस दौरान डा. आशुतोष पांडेय सहित आशा पांडेय, अनिकेत पटेल, राहुल प्रजापति आदि ने जांच कर लोगों को चिकित्सकीय सलाह दी।
तत्पश्चात अपराह्न दो बजे से उतरी से पधारी कथा वाचिका मिथिलेश्वरी देवी ने ज्ञान यज्ञ के पंचम दिवस भक्त व भगवान के संबन्ध को लेकर कथा की। उन्होंने श्रीराम चरित मानस के प्रसंगों की चर्चा कर भगवान राम व हनुमान के लीला को मार्मिक ढंग से रखते हुए भक्त और भगवान के संबन्ध की गहनता को बताया।
श्रीमद्भागवत कथा के प्रारंभ में भगवान के जन्मोत्सव के साथ व्यास पीठ से श्रीमद्भागवत व मानस मर्मज्ञ अखिलानन्द महाराज ने अपने वक्तव्य में कहा कि भगवान जब नन्दबाबा के यहां गोकुल में आए तब समस्त गोकुलवासी आनंदित हो उठे और ऐसे आनन्दित हुए कि वह उत्सव में परिवर्तित हो गया। उत्सव का अर्थ बताते हुए कहा कि उत् अर्थात ईश्वर सक अर्थात प्राकट्य। ईश्वर का प्राकट्य ही उत्सव है।
विशेष अतिथि के रूप में संस्कार भारती के काशी प्रांत से पधारे सुधीर पाण्डेय को व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। मुख्य यजमान के रूप में यज्ञ नारायण सिंह पूनम सिंह रहे। इस अवसर पर पीएन सिंह, उपेन्द्र सिंह, बृजेश सिंह, डा. एसएन त्रिवेदी, संजय अग्रवाल, अतुल दूबे, संतोष शर्मा, कन्हैया लाल जायसवाल, रेखा अग्रवाल, छाया पाण्डेय, गीता रानी गुप्ता, संतोष पाठक, आलोक पाण्डेय, वैभव तिवारी, दिनेश सिंह, संतोष शर्मा, कन्हैयालाल जायसवाल, भैयालाल पांडेय, मनोज श्रीवास्तव, अतुल दूबे, सुमित सिंह, विकास चौबे आदि उपस्थित रहे।

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