कइसे तोहके बताईं…

देखा बदलल केतना जमनवाँ ना,
कइसे तोहके बताईं हम सजनवाँ ना।
देखै लड़िका कार्टून,
चढ़ल सीरियल कै जुनून,
गायब घर से भयल ऊ अंगनवाँ ना।
कइसे तोहके बताईं हम सजनवाँ ना…
डलिया, चलनी नाहीं सूप,
घर में अईंनी घर-फूँक,
खुल्लम-खुल्ला देखा ओनकर चलनवाँ ना।
कइसे तोहके बताईं हम सजनवाँ ना।
जब से आईल बा मोबाइल,
बदलल सबकर स्टाईल,
दुर्लभ भयल नात-हित, दर्शनवाँ ना।
कइसे तोहके बताईं हम सजनवाँ ना।
दुनिया गाती नहीं लोरी,
वो थी बच्चों की तिजोरी,
बचल डरिया न, झूलबा का झूलनवाँ ना,
कइसे तोहके बताईं हम सजनवाँ ना।
नहीं बचल मूसर-ओखरी,
सूख गईंनी सब पोखरी,
रँडुवा रोवै अब पकड़ के बेलनवा ना।
कइसे तोहके बताईं हम सजनवाँ ना।
रामकेश एम. यादव
‘सरस’ मुम्बई।

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