ठण्ड से ठिठुरते गौवंशों की हो रही है मौतें

  • जिम्मेदार संचालक नहीं दे रहा है कोई ध्यान

रूपा गोयल
बांदा। गांवों में सर्दी को लेकर कई तरह से बचाव किए जा रहे हैं लेकिन बेजुबान गौ वंशों के लिए कोई ध्यान नहीं दे रहा है जबकी इसकी शिकायत कई बार अधिकारियों से की चुकी है।
मामला महुआ विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गिरवा का है जहां पर लगभग 200 गौ वंश संरक्षित है और यहां पर ग्राम पंचायता के बजाय एक संस्थान द्वारा गौशाला को संचालित किया जा रहा है जबकि यहां पर गौ वंशों के खाने के लिए सूखा प्यार के अलावा और कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है।
इसके साथ यहां पर चार गौ वंशों की मौत हो गई है वो भी सर्दी से और नहीं है कोई अलाव और पन्नी की व्यवस्था, खाने को केवल है सूखा पयार, जिम्मेदारों ने झाड़ा पल्ला और कौन करेगा इन पर सेवा का जब सरकार द्वारा सख्त आदेशित है कि किसी भी गौ वंश को खुले।
मैया फिर गौशाला में खुले आसमान के नीच नहीं रहना चाहिए तो फिर ये साहब लोग क्यों इन पर सितम ढहा रहे हैं। जिसके चलते गौशालाओं में गौ वंशों के लिए पन्नी और खाने के लिए भूसे की व्यवस्था के सख्त आदेश दिए गए हैं लेकिन जिम्मेदार साहब अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे है।
जिसके तहत गौवंशों की हालत बाद बत्तर है और पानी भरे हुए मैदान में रहने के लिए बाध्य हो रहे हैं गौ वंश। महुआ ब्लॉक की ग्राम पंचायत गिरवा में बनी गौशाला (कांजी हाउस) में गोवंश के साथ किया जा रहा है बेहद अत्याचार अचानक पहुंचने पर पता चला कि भीषण ठंडी के बीच गोवंशो को सिर्फ पुयाल सूखा चारा डाला जा रहा है और उनके रहने की जगह को भी साफ नहीं किया जा रहा है जिसके कारण गोबर मूत्र के कारण कीचड़, दलदल में खड़े रहने और बैठने को मजबूर हैं गोवंश।
इस तरह की सर्दी और वारिश में क्या हाल होता होगा गोवंशो का, देखरेख कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि हप्ते में सिर्फ एक बार सफाई होती है सफाई कर्मचारी रोज नहीं आता इसलिए एक बार ही सफाई की जाती है पूरे गोबर मूत्र इकट्ठा है जिससे भारी दुर्गंध भी आती है और जानवरों को बैठाने में तकलीफ होती है 2 गोवंश बीमार हालत मे पड़े थे जिनका अभी तक इलाज नहीं कराया गया। कर्मचारियों ने बताया कि गौशाला की देख रेख एनजीओ के द्वारा की जा रही है। भूसा सिर्फ हफ्ते में एक बार ही मिलता है।
बाकी सुख प्यार दिया जाता है। एंजियो संचालक से बात करने के लिए मोबाइल नंबर मांगा तो मौजूदा कर्मचारी ने नहीं बताया सरकार द्वारा एक जानवर को 50 प्रतिदिन के हिसाब से दिया जाता है लेकिन यहां तो सिर्फ जानवरों को 10 का भी खाना रोज नहीं मिलता है। इसके बाद भी बेजुबान गौ वंशों पर बेरहमी का सिलसिला निभा रहे हैं जिम्मेदार।
वहीं इस गौशाला में लगभग 2 सौ से अधिक गौ वंश संरक्षित हैं और यहां पर व्यवस्थाओं पर पलीता लगा हुआ है। उधर एसडीएम नरैनी सत्यप्रकाश चौधरी का कहना है कि अगर वहां पर गौशाला में कमियां है तो संबंधित को जांच के आदेश दिए जाएंगे और साथ में संचालक के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी।

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