फर्जी रिपोर्ट देकर अल्ट्रासाउण्ड सेण्टर कर रहे धनउगाही

  • लोगों की जान से कर रहे खिलवाड़

  • महिला ने शिकायत करते हुये लगाये आरोप

राघवेन्द्र पाण्डेय
अमेठी। उत्तर प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतर व्यवस्था को लेकर लगातार दावे कर रही है। उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर संजीदा रहते हैं।
प्रदेश के सभी जनपदों का दौरा करते रहते हैं और जहां थोड़ी भी कमियां दिखती हैं, वहां तत्काल सुधारात्मक व्यवस्था के लिए दिशा निर्देशित भी करते हैं लेकिन अमेठी की बात की जाए तो हकीकत इसके विपरीत है।
ताजा मामला जनपद के अमेठी कस्बे का है जहां अमेठी अल्ट्रासाउंड के नाम से संचालित एक अल्ट्रासाउंड सेंटर के खिलाफ एक महिला ने आरोप लगाते हुए शिकायती पत्र दिया।
उसने लिखा कि उसके पेट में दर्द था और वह अल्ट्रासाउंड करवाने के लिए अमेठी अल्ट्रासाउंड सेंटर पर गई जहां अल्ट्रासाउंड हुआ तो रिपोर्ट में कुछ निकला ही नहीं जिसके बाद वह संतुष्ट नहीं हुई तो शहर के ही एक प्रतिष्ठित हॉस्पिटल पहुंची जहां उसने पुनः अपना अल्ट्रासाउंड कराया जिसमें पथरी निकली है।
इसके बाद वह तत्काल इसकी शिकायत संबंधित अधिकारी को की जिस पर अमेठी सीएससी अधीक्षक ने बताया कि उक्त प्रकरण में शिकायत के आधार पर जांच करके जांच रिपोर्ट संबंधित अधिकारी को सौंपी जाएगी, उसके बाद कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि मोहम्मद कलीम खान द्वारा संचालित अल्ट्रासाउंड सेंटर के खिलाफ कई बार शिकायतें भी की गई है और अधिकारियों द्वारा कार्यवाही करते हुए अल्ट्रासाउंड सेंटर सीज भी किया गया है। सूत्रों की मानें तो इसके द्वारा कई अल्ट्रासाउंड सेंटर विभिन्न नाम से संचालित किए जाते हैं। जब भी कोई कार्यवाही होती है तो यह नाम बदलकर फिर से नया अल्ट्रासाउंड सेंटर/नर्सिंग होम चलाने लगता है।
इसके अल्ट्रासाउंड सेंटर/नर्सिंग होम पर नियम कानून की धज्जियां उड़ाई जाती है। चर्चा तो यहां तक है कि जिले के समस्त जिम्मेदारों को समस्त अवैध कार्यों की जानकारी पूर्व से ही रहती है परन्तु करेंसी की चमक व कड़क के आगे उन्हें कुछ दिखाई सुनाई नहीं पड़ता जो जांच का विषय है।
लोगों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग की ही कृपा से जिले में ऐसे अल्ट्रासाउंड सेंटरों व नर्सिंग होम की चांदी कट रही है जो मरीजों की जान सांसत में डाल रहे हैं। दरअसल अप्रशिक्षित कर्मियों द्वारा संचालित हो रहे ऐसे सेंटरों की गलत रिपोर्टिंग से इलाज की दिशा बदल रही है और कई दफे मरीज खतरनाक स्थिति में पहुंच रहे हैं।
पग-पग पर संचालित अल्ट्रासाउंड और नर्सिंग होम का फर्जी तरीके से खूलेआम संचालन हो रहा है जबकि जिले में रेडियोलॉजिस्ट किसी संख्या बहुत ही सीमित है और अल्ट्रासाउंड सेंटर की भरमार लगी पड़ी है। कई क्लिनिक तो ऐसे हैं जिन पर क्लीनिक का नाम लिखा है परंतु डॉक्टर का नाम ही नहीं लिखा है। पता चलता है कि इस को संचालित करने वाला कक्षा 8 फेल है, फिर भी स्वास्थ्य विभाग गहरी निंद्रा में सोया हुआ है।

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