रूपा गोयल
बांदा। बांदा कृषि एवम प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय बांदा व इक्रीसेट हैदराबाद के संयुक्त परियोजना भारत में उच्च उपज एवं जल्दी पकने वाली किस्मों और संकर किस्मों को बढ़ावा देकर अरहर का उत्पादन एवम उत्पादकता बढ़ाना’ के अंतर्गत प्रशिक्षण एवम प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन हुआ। इस परियोजना में चयनित बांदा एवं चित्रकूट जनपद के 40 किसानों ने अरहर की उत्पादकता कैसे बढ़ाये विषय पे प्रशिक्षण एवं प्रक्षेत्र दिवस में प्रतिभाग किया।
कार्यक्रम में किसान वैज्ञानिक संवाद में किसानों ने अपने खेत में परियोजना द्वारा प्रदत्त अरहर की प्रजातियों के विषय में वार्ता करते हुये बताया कि अरहर हमारे आय को बढ़ाने वाला एक बेहतरीन माध्यम है जो विश्विद्यालय से हमें प्राप्त हुआ है। कार्यक्रम की शुरुआत कृषकों व मुख्य अतिथि अधिस्थता कृषि महाविद्यालय, डॉ. जीएस पवार के स्वागत से हुआ। इस अवसर पर अध्यक्ष पादप प्रजनन विभाग डा. मुकुल कुमार, सहायक निदेशक शोध डॉ. अरुण कुमार, परियोजना अधिकारी डा. हितेश कुमार, डा. अर्जुन प्रसाद वर्मा (सह परियोजना अधिकारी) भी उपस्थित रहे।
विभागाध्यक्ष डा. मुकुल कुमार ने किसानों को बताया कि इस परियोजना के माध्यम से बुंदेलखंड में जल्दी व कम समय में पकने वाली किस्मों को प्रचलित करके किसानों की आय को बढ़ाना मुख्य उदेश्य है। परियोजना अधिकारी डा. हितेश कुमार ने परियोजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी। अरहर में लगने वाले विभिन्न कीटों एवं बीमारियों के बारे में भी प्रकाश डाला। साथ ही अरहर में होने वाले विभिन्न उन्नत तकनीकियों के बारे में जानकारी दी। सहायक निदेशक शोध डा. अरूण कुमार ने किसानों को आग्रह किया कि विश्वविद्यालय की नवीनतम तकनीकियों को अधिक से अधिक से अपनाकर लाभ प्राप्त किया जा सकता हैं। प्रक्षेत्र दिवस में मुख्य अतिथि एवं सह परियोजना अधिकारी डा. जीएस पवार ने अरहर में लगने वाले घासो का नियंत्रण, अरहर का आय अर्जन में भूमिका, पोषण में महत्व व दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के बारे में महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉ अर्जुन प्रसाद वर्मा ने दिया।