गोविन्द वर्मा
बाराबंकी। सवा लाख से एक लड़ाऊं, तबेह गोबिंद सिंह नाम कहाऊं। खालसा पंथ के संस्थापक और सिखों के 10वें गुरु सरबंस दानी गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व सोमवार को बड़ी धूमधाम और श्रद्धा से मनाया गया।
गुरु गोबिंद सिंह का जन्म पटना साहिब बिहार में हुआ था।उन्होंने ही १६९९ में खालसा पंथ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है सिख धर्म के दसवें गुरु की जयंती को पूरे देश भर में बेहद उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
उन्होंने ही सिखों को पाँच ककारों के बारे में समझाया था। इस उपलक्ष्य में गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा लाजपत नगर में सहज पाठ 4 जनवरी को आरम्भ किया गया जिसकी समाप्ति 6 जनवरी की सुबह हुई। इसके बाद विशेष कीर्तन दीवान सजाया गया जिसमें हजूरी रागी भाई तीरथ सिंह और छोटे बच्चों ने शब्द कीर्तन से आई संगत को निहाल किया।
होशियारपुर से आए रागी नवप्रीत सिंह और उनके जत्थे ने वाहो वाहो गोबिंद सिंह आपे गुरु चेला,सब राजन के राजा तुम हो सब राजन के राजा, आपे आप गरीब निवाज़ा तुम हो सब राजन के राजा शबद पड़कर संगत को निहाल कर दिया। कीर्तन समाप्ति के उपरांत गुरु का अटूट लंगर वितरित किया गया जिसमें सैकड़ों लोगों ने पंगत में बैठकर गुरु का लंगर छका।
इस अवसर पर प्रधान भूपेंदर सिंह, उप–प्रधान रविन्द्र सिंह कालरा, सचिव हरपाल सिंह, राजदीप सिंह, कोषाध्यक्ष हरप्रीत सिंह, मीडिया प्रभारी प्रीत सिंह, बलबीर सिंह सनी, सतनाम सिंह खालसा, रौनक सिंह, तनप्रीत सिंह, गुरमीत सिंह रिंकू, सतपाल सिंह के साध संगत मौजूद रही।