विशाल रस्तोगी
बिसवां, सीतापुर। जनपद के गौरव एवं साहित्य भूषण कमलेश मौर्य मृदु की अध्यक्षता में उप्र हिंदी संस्थान लखनऊ में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। यह आयोजन भास्कराचार्य अध्ययन केन्द्र द्वारा हिन्दी संस्थान के निराला सभागार में गुरु गोविंद सिंह जयंती के उपलक्ष्य में हुआ। मुख्य अतिथि अरुण असीम समाज कल्याण मंत्री उत्तर प्रदेश ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जिसके बाद अपने सम्बोधन में गुरु गोविंद सिंह जी के जीवन व लखनऊ से उनके संबंध पर प्रकाश डाला।
साथ ही पुरुषोत्तम लाल सोनी के काव्य संग्रह “सृजन की साधना” का लोकार्पण भी किया। आयोजक जेपी वर्मा ने मुख्य अतिथि सहित अन्य अतिथियों व कवियों का स्वागत किया और संस्थान की गतिविधियों को रेखांकित किया। कवि सम्मेलन का संचालन ओज कवि राम किशोर तिवारी ने किया। साथ ही दसों गुरुओं के जीवन पर आधारित अपनी कविता सुनाकर सभी को रोमांचित कर दिया।
कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे साहित्य भूषण कमलेश मौर्य मृदु ने अपनी आशु कविताओं से सबको सम्मोहित कर दिया।
उन्होंने गुरु गोविंद सिंह जी को समर्पित रचनाएं पढ़कर उपस्थित जनों को उद्वेलित किया। ‘शस्त्र के बगैर शास्त्र की न सुनता है कोई भक्ति के ही साथ शक्ति पाठ को पढ़ा गये। सकल जगत में खालसा पंथ गाजे, धर्म हिन्दू जगे भ़ंड भजे मन में दृढा गये। भक्ति की प्रतीक एक हाथ में दी तस्बीह और दूजे हाथ में कृपाण पकड़ा गये। शास्त्र और शस्त्र का वे करके समन्वय एक एक शिष्य सवा लाख से लड़ा गये।।’
श्री मृदु ने जन्म जन्मांतर तक हिंदू धर्म के गौरव सिक्ख गुरुओं के बलिदान को न भूलने का संकल्प लेते हुए कहा ‘सिक्ख गुरुओं ने गुरु पुत्रों सिक्ख सैनिकों ने किये बलिदान उन्हें कैसे बिसरायेंगे। शीश देके धर्म और संस्कृति को बचाया उनके श्रीचरणों में शीश हम नहायेंगे।
भारत का कण कण उन सबका श्रृणी है कई जन्म लेके नहीं उऋण हो पायेंगे। धरा औ गगन सूर्य चन्द्र जब-तक शेष श्रद्धा पूर्वक गुरुओं की गाथा गायेंगे।।
इसके अतिरिक्त कुसुम चौधरी, इशरत सुल्ताना, प्रदीप महाजन, आशिक रायबरेली, राजेन्द्र तिवारी, व्यंजना शुक्ला, सृजन शुक्ला, कहकशां, नेहा त्रिपाठी आदि ने काव्य पाठ कर कवि सम्मेलन को गरिमा प्रदान किया।