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कई ग्राम पंचायतों में न लैपटॉप, न इण्टरनेट कनेक्शन और न ही बैठते हैं सचिव
कोशिश जायसवाल
महराजगंज, रायबरेली। स्थानीय विकास खण्ड में 53 ग्राम पंचायतें हैं। सभी ग्राम पंचायत में ग्राम सचिवालय बनाए गए हैं। पंचायत भवनों को आवश्यक सुविधाओं से लैस कर सरकार ने गांव को डिजिटल बनाने की मंशा है। इसके लिए सभी ग्राम पंचायतों में कम्प्यूटर सेट सहित अन्य संसाधन भी खरीदे गए हैं।
पंचायत सहायकों की तैनाती भी है। ग्रामीणों को सरकारी योजनाओं के लाभ, जानकारी व क्रियान्वयन के लिए गांवों में बने पंचायत घर मात्र दिखावा रह गए हैं। विकास खण्ड के अधिकांश पंचायत भवनों में ताला लटक रहा है। ग्राम प्रधान व सचिवों की उदासीनता ग्राम पंचायतों के डिजिटलाइजेशन की राह में बाधा बनी है। इससे ग्रामीणों को योजना का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उन्हें आज भी विभिन्न प्रमाण पत्रों के लिए तहसील व विकास खण्ड का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
ग्रामीणों को आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र से लेकर खसरा-खतौनी निकालने जैसे कार्यों के लिए तहसीलों का चक्कर न लगाना पड़े। साथ ही उन्हें जन्म व मृत्यु का पंजीकरण कराने के लिए भी परेशान न होना पड़े, इसके लिए प्रत्येक गांव में पंचायत भवनों को डिजिटल कर यह सुविधा दिए जाने की योजना संचालित है। शासन ने राज वित्त से पंचायत भवनों में डिजिटल सुविधाओं के संसाधन व प्रति माह पंचायत सहायकों को मानदेय भी दे रही है।
लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद भी गांव की जनता को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसे में ये सचिवालय शासन की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं। इस कारण लोगों को सरकारी कामकाज के लिए विकास खंड व तहसील कार्यालयों सहित अन्य विभागों में चक्कर काटने पर मजबूर होना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम सचिवालय बनाने का क्या फायदा जब यहां सुविधाएं ही नहीं मिल पा रहीं।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार…
खण्ड विकास अधिकारी वर्षा सिंह ने बताया कि अधिकांश पंचायत भवनों ने सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं जहां पंचायत सहायक बैठकर कार्य करते हैं। पंचायत सहायकों को रोज लाइव लोकेशन के आधार पर ही मानदेय दिया जाता है। चूंकि पंचायत सहायकों से अन्य सरकारी योजनाओं पर भी कार्य कराया जाता है जिसके कारण उन्हें फील्ड पर निकलना पड़ता है और जिन ग्रामसभाओं में पंचायत भवन जर्जर हैं, विद्युत व्यवस्था, इंटरनेट संबंधी समस्या है। उनके लिये भी प्रयास किया जा रहा है।