एचएमपीवी से घबराएं नहीं, कोविड-19 की तरह नहीं है गम्भीर: डा. प्रशान्त

जितेन्द्र सिंह चौधरी
वाराणसी। चीन में तेजी से फैलने वाले ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (HMPV) ने अब भारत में भी दस्तक दे दी है। देश में अब तक इसके8 मामले सामने आ चुके हैं। यह वायरस मुख्य रूप से बच्चों और बुजुर्गों को प्रभावित करता है। हालांकि विशेषज्ञ का कहना है कि HMPV कोई नया वायरस नहीं है और यह कोविड-19 जितना घातक नहीं है।
क्या है और कैसे फैलता है?
डा प्रशान्त ने बताया कि ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस सबसे पहले 1991 में आइसोलेट किया गया था और 2001 में नीदरलैंड के वैज्ञानिक बर्नडेट जी वैन डेन हूगेन और उनकी टीम ने इसकी खोज की।
यह वायरस दो वेरिएंट्स (ए और बी) में पाया जाता है लेकिन दोनों वेरिएंट समान हैं। यह वायरस मुख्य रूप से संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकली सांस की बूंदों के जरिए फैलता है। इसके अलावा संक्रमित सतहों को छूने या ऐसे स्थानों पर जाने से भी संक्रमण हो सकता है जहां यह वायरस थोड़े समय के लिए जीवित रहता है।
कौन है ज्यादा जोखिम में?
डा प्रशान्त ने बताया कि यह वायरस सबसे ज्यादा 5 साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से ऊपर के बुजुर्गों को प्रभावित करता है। सामान्य परिस्थितियों में यह वायरस गंभीर नहीं माना जाता लेकिन कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों या अन्य बीमारियों से ग्रस्त व्यक्तियों में यह अधिक जटिलताएं पैदा कर सकता है।
संक्रमण के लक्षण-
संक्रमण के लक्षण सामान्य सर्दी या फ्लू जैसे होते हैं। हल्के लक्षणों में बुखार, खांसी, गले में खराश और नाक बहना शामिल है। हालांकि छोटे बच्चों और बुजुर्गों में यह ब्रोंकियोलाइटिस (फेफड़ों के छोटे वायु मार्ग की सूजन), निमोनिया, सांस लेने में तकलीफ जैसी गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है।
क्या यह घातक है?
वैज्ञानिकों का मानना है कि HMPV घातक वायरस नहीं है। “यह वायरस लंबे समय से मनुष्यों के साथ मौजूद है, इसलिए इससे कोविड-19 जैसी गंभीर समस्या नहीं होगी। हालांकि स्वच्छता बनाए रखना और डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी हैं।
सावधानियां और उपाय-
इस वायरस से बचाव के लिए साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना, बार-बार हाथ धोना और भीड़—भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचना जरूरी है। लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। यह एक सामान्य वायरस है और इसे गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में इसका प्रभाव सीमित रहेगा। फिर भी सतर्कता और स्वच्छता का पालन करना संक्रमण से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है।

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