अब्दुल मोबीन सिद्दीकी उतरौला, बलरामपुर। गरीबों और आवासहीन लोगों को छत मुहैय्या कराने के उद्देश्य से शुरू की गई कांशीराम आवास योजना आज भ्रष्टाचार और लापरवाही का शिकार हो गया है।
बसपा शासनकाल में शुरू हुई मान्यवर कांशीराम आवास योजना के अंतर्गत बने मकानों का आवंटन जरूरतमंदों को करने के बजाय उन लोगों को कर दिया गया है जिनके पास पहले से ही आवास की व्यवस्था थी। अब यही लोग इन मकानों को किराए पर देकर मोटी रकम वसूल रहे हैं।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार जिन लोगों को मकान आवंटित किए गए हैं, वे स्वयं इन मकानों में नहीं रहते, बल्कि इन मकानों को किराए पर उठाकर अच्छी खासी आय कमा रहे हैं। किरायेदारों की गैर-जिम्मेदाराना प्रवृत्ति के कारण मकानों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। मकानों की उचित देख—रेख न होने के कारण बड़ी-बड़ी झाड़ियां और घास-फूस उग आई हैं जिससे ये मकान कमजोर हो रहे हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जिनके पास पहले से निजी आवास हैं, उन्हें आवास योजना के मकान क्यों आवंटित किए गए? आज तक प्रशासन ने इन आवंटनों का भौतिक सत्यापन क्यों नहीं किया?
जरूरतमंदों का कहना है कि यदि प्रशासन ने समय रहते सख्त कदम उठाए होते तो गरीबों और आवासहीन लोगों का हक इस तरह नहीं छीना जाता।
मीडिया की टीम ने जब धरातल पर स्थिति का जायजा लिया तो कई ऐसे लोग मिले जिन्हें वास्तव में मकान की आवश्यकता है। इन लोगों का कहना है कि प्रशासन को उन लोगों की पहचान करनी चाहिए जिन्होंने मकानों का दुरुपयोग किया है और मकान का आवंटन रद्द कर इन्हें वास्तविक जरूरतमंदों को देना चाहिए।