शिवमंगल अग्रहरि
चित्रकूट। जिले में अवैध खनन कारोबारियों ने प्रशासन की नाक में दम कर दिया है। माफिया खुलेआम कानून व नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए धड़ल्ले से नदियों की संपदा लूट रहे हैं व पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं लेकिन प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा नजर आ रहा है। बांदा जिले में खनन माफिया पर प्रशासन ने जहां करोड़ों के जुर्माने लगाकर सख्त कार्रवाई की, वहीं चित्रकूट में यह समस्या प्रशासन के गले की फांस बन चुकी है।
बताते चलें कि हाल ही में बांदा के जिलाधिकारी नागेंद्र प्रताप ने खनन माफिया पर नकेल कसते हुए सभी खनन पट्टों व परमिटों की जांच के आदेश दिए। बांदा जिले में अवैध खनन के मामले में चार पट्टाधारियों पर कुल 1,90,24,825 रुपये का जुर्माना लगाया गया। जुर्माना अनुमत खनन कोटा से अधिक खनन करने के अपराध के लिए लगाया गया है। जांच में पाया गया कि सभी चार पट्टाधारियों ने अपने पट्टों में निर्धारित सीमा से अधिक खनन किया था।
इसके अलावा, पट्टाधारियों 1 व 2 को पट्टे के निर्धारित क्षेत्र से बाहर खनन करने के लिए जुर्माना लगाया गया है। वहीं दूसरी ओर चित्रकूट में खनन माफिया का आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है। नदियों के किनारे रेत और बजरी का अंधाधुंध खनन हो रहा है। जनपद के मऊ, पहाड़ी व राजापुर क्षेत्रों में तो अवैध खनन की गतिविधियों ने खुले आम लूट ही मचा दी है।
क्षेत्रीय लोगों का आरोप है कि माफिया के पास राजनीतिक संरक्षण है जिसके कारण प्रशासन कार्रवाई करने से बच रहा है। मजे की बात यह है कि चित्रकूट के आलाधिकारी जहां भी दौरे/निरीक्षण पर जाते है वहां सब कुछ संतोषजनक मिलता है। एक ग्रामीण ने बताया, हर दिन ट्रकों की लाइनें लगती हैं।
नदियों का पानी दूषित हो चुका है। प्रशासन सब कुछ देखकर भी चुप है। दूसरे का कहना है यहां नदियों का अस्तित्व खत्म हो रहा है। सरकार का कानून सिर्फ कागजों तक सीमित है। जिले में खनन माफिया के बढ़ते दबदबे व प्रशासन की चुप्पी ने जनता को आक्रोशित कर दिया है। चित्रकूट में अवैध खनन केवल प्रशासन की विफलता नहीं है, बल्कि पर्यावरण व लोगों के जीवन पर सीधा खतरा बन चुका है। सवाल यह है कि बांदा की तरह सख्ती चित्रकूट में कब देखने को मिलेगी? या फिर माफिया व प्रशासन के गठजोड़ से खेल अनवरत चलता रहेगा? अब देखना होगा कि प्रशासन फांस को निकालकर सख्त कदम उठाएगा या माफिया का आतंक यूं ही चलता रहेगा।
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जीरो टॉलरेंस या जीरो एक्शन?
योगी सरकार ने प्रदेश में कानून व्यवस्था को मजबूत करने व अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने का दावा किया था लेकिन चित्रकूट में अवैध खनन माफिया खुलेआम योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी की धज्जियां उड़ा रहे हैं। बांदा जिले में प्रशासन ने जहां करोड़ों के जुर्माने लगाकर माफिया को सबक सिखाया, वहीं चित्रकूट में यह नीति पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है।